Sunday, December 22, 2024
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वायु प्रदूषण के कारण अचानक बढ़े फेफड़ों के कैंसर के मामले, बिहार समेत कई राज्यों में खतरा

ऑय 1 न्यूज़ 24 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) सिर्फ धूम्रपान से नहीं, वायु प्रदूषण से भी कैंसर होता है। देश भर में वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। आमतौर पर मुख्यधारा की मीडिया में दिल्ली के वायु प्रदूषण की चर्चा रहती है मगर देश के अन्य राज्यों उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान आदि राज्यों में भी प्रदूषण खतरनाक स्तर से बहुत ज्यादा है। हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जब सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की सूची जारी की, तो उनमें भारत के 14 शहर शामिल थे, जिनमें कानपुर, फरीदाबाद, बनारस, गया, पटना, मुजफ्फरपुर, गुड़गांव, जयपुर आदि शामिल हैं।

धूम्रपान नहीं करने वालों में भी बढ़ा फेफड़ों का कैंसर
चिकित्सकों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में फेफड़ों के कैंसर जुड़े जितने मामले सामने आए हैं, उनमें ज्यादातर लोग धूम्रपान नहीं करते थे मगर प्रदूषण के कारण उन्हें ये बीमारी हुई। पटना के सवेरा कैंसर एंड मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक, कैंसर धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों को भी हो रहा है। यहां के चिकित्सकों की टीम ने मार्च, 2012 से जून, 2018 तक 150 से ज्यादा मरीजों का विश्लेषण किया, जिसमें पाया गया कि बिना धूम्रपान करने वाले व्यक्ति भी कैंसर के शिकार बन रहे हैं।

76 लाख से ज्यादा लोग हर साल शिकार
पटना के जाने-माने कैंसर सर्जन डॉ. वी. पी. सिंह ने सर्वेक्षण के आधार पर बताया कि इन मरीजों में तकरीबन 20 प्रतिशत मरीज ऐसे थे, जो धूम्रपान नहीं करते थे। 50 वर्ष से कम उम्र समूह में यह आंकड़ा तो 30 प्रतिशत तक पहुंचा। ये लोग धूम्रपान नहीं करते थे। उन्होंने हालांकि कहा कि फेफड़ों से जुड़े कैंसर का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान होता है। धूम्रपान से होने वाले इस आम कैंसर के बारे में तमाम जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, इसके बावजूद वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 76 लाख से ज्यादा लोग हर साल इस बीमारी का शिकार होते हैं।

बहुत मुश्किल है फेफड़ों के कैंसर का इलाज
डॉ. सिंह ने कहा कि फेफड़े के कैंसर से धूम्रपान करने वाले ही नहीं, बल्कि धूम्रपान न करने वाले युवक-युवतियां भी जूझ रहे हैं और ऐसा बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि फेफड़े का कैंसर खतरनाक बीमारी है और इसके निदान के बाद भी पांच साल तक जीवित रहने की उम्मीद कम ही होती है। डॉ. सिंह ने कहा, “पारंपरिक ज्ञान यह कहता है कि फेफड़े के कैंसर का धूम्रपान मुख्य कारण है, लेकिन हाल के दिनों में हुए शोधों से पता चलता है कि फेफड़े के कैंसर के बढ़ते मामलों में प्रदूषित हवा की भूमिका बढ़ रही है।”

कैसे पहचानें लक्षण
रोग के लक्षणों और बचने के तरीकों के बारे में उन्होंने कहा कि फेफड़े के कैंसर को आसानी से पहचाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि छाती में दर्द, छोटी सांसें लेना और हमेशा कफ रहना, चेहरे और गर्दन पर सूजन, थकान, सिरदर्द, हड्डियों में दर्द तथा वजन कम होना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को ‘पैसिव स्मोकिंग’ (सिगरेट के धुएं) से बचना चाहिए। उन्होंने लोगों को प्रतिदिन व्यायाम करने की सलाह देते हुए फल और सब्जियां खाने पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से ‘सेकेंड हैंड स्मोकिंग’ से भी बचने की सलाह दी।

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