Monday, December 23, 2024
to day news in chandigarh
HomeUncategorizedसोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: सबूतों के अभाव में सोहराबुद्दीन केस के सभी आरोपी...

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: सबूतों के अभाव में सोहराबुद्दीन केस के सभी आरोपी बरी, मैं असहाय

ऑय 1 न्यूज़ 21 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत शुक्रवार को सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया.

बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में आज केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया. जज एसजे शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि हमें इस बात का दुख है कि तीन लोगों ने अपनी जान खोई है. लेकिन कानून और सिस्टम को किसी आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है. सीबीआई इस बात को सिद्ध ही नहीं कर पाई कि पुलिसवालों ने सोहराबुद्दीन को हैदराबाद से अगवा किया था. इस बात का कोई सबूत नहीं है.

हालांकि, कोर्ट ने इस बात को माना है कि सोहराबुद्दीन की मौत गोली लगने के कारण ही हुई थी. हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है. यही कारण है कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार और एजेंसियों ने इस केस की जांच करने में काफी मेहनत की, 210 गवाहों को पेश किया गया. लेकिन किसी भी तरह से सबूत सामने नहीं आ सके. जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि असहाय हैं.

बताते चलें कि 2005-06 के दौरान हुए इस एनकाउंटर में इस कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति के मारे जाने से राजनीति काफी गर्मा गई थी. अब 13 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इस मामले की आखिरी बहस 5 दिसंबर को खत्म हुई थी.

इस मामले में कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था. बरी किए गए लोगों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री), पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं. ये मामला पहले गुजरात में चल रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था.

गौरतलब है कि अभियोजन पक्ष का आरोप था कि सोहराबुद्दीन शेख का संबंध आतंकी संगठन से था और वह किसी बड़ी साजिश के तहत काम कर रहा था.

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर 2005 में हुआ था. इस मामले की जांच गुजरात में चल रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि गुजरात में इस केस को प्रभावित किया जा रहा है, इसलिए 2012 में इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था.

इस मामले की सुनवाई पहले जज उत्पत कर रहे थे, हालांकि बाद में उनका ट्रांसफर कर दिया गया. उनके बाद इस मामले की सुनवाई जज बृजगोपाल लोया कर रहे थे, नियुक्ति के कुछ समय बाद ही उनकी मौत हो गई थी. जिसके बाद कुछ समय के लिए इस केस में मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाया था.

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments