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होलमियम लेजर से आसान हुआ गुर्दे की पथरी का इलाज, नहीं लगेंगे चीरे

ऑय 1 न्यूज़ 19 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) गुर्दे की पथरी का इलाज बिना चीरा लगाए अब होलमियम लेजर तकनीक से आसानी से किया जा सकता है। एक नामी अस्पताल में इस तकनीक से उपचार किया जा रहा है। चिकित्सकों का दावा है कि इस विधि से मरीज का उपचार करने से न शरीर से रक्त का नुकसान होता है और न ही मरीज को लंबे वक्त अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। इतना जरूर है कि उपचार की विधियों की अपेक्षा लेजर तकनीक महंगी है। डॉक्टर्स का कहना है कि लेजर तकनीक से गुर्दे की पथरी व टयूमर का एंडोस्कोपिक उपचार आसानी से किया जा सकता है। यह मिनीमली इनवेसिव तकनीक है, जो गुर्दे/मूत्राशय में मौजूद दो सेमी तक की पथरी को तोड़ने के लिए प्रभावी है।

  • टयूमर का एंडोस्कोपिक उपचार आसानी से किया जा सकता है।
  • गुर्दे की पथरी का इलाज होलमियम लेजर तकनीक से आसानी हुआ है।
  • मूत्राशय में मौजूद दो सेमी तक की पथरी को तोड़ने के लिए प्रभावी है।

इस तकनीक में मूत्रमार्ग के माध्यम से पथरी तक एक लेक्सिबल लेजर फाइबर डाला जाता है। लेजर एक्टिव होने के बाद लेजर बीम पथरी को पाउडर जैसे कण में तोड़ देती है। यह कण बाद में मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाते हैं। इस प्रक्रिया से पथरी का उपचार करते समय मरीज को सहज बनाए रखने के लिए जनरल एनेस्थिसिया दिया जाता है। यूरोलॉजी विभाग के कंसल्टेट डॉ. दीपक गर्ग ने कहा कि दिल के मरीजों या उन मरीजों के लिए यह तकनीक पूरी तरह सुरक्षित है, जो खून पतला करने की दवाएं लेते हैं। इसमें एक और फायदा यह है कि पथरी बारीक कणों में टूट जाती है। जिससे उपचार के बाद पथरी के गुर्दे में रहने की संभावना बिल्कुल नहीं रहती है। पत्रकार वार्ता में अस्पताल के वाइस प्रेजीडेंट डॉ. संदीप तंवर भी मौजूद रहे।

क्या होती है पथरी
विशेषज्ञों के अनुसार, पथरी का कारण अधिकतर किडनी में कुछ खास तरह के साल्ट्स का जमा हो जाना होता है। इसमें सबसे पहले स्टोन का छोटा खंड (निडस) बनता है, जिसके चारों ओर सॉल्ट जमा होता रहता है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में पथरी होने की आशंका ज़्यादा होती है। इसके पथरी के कई जेनेटिक कारण, हाइपरटेंशन, मोटापा, मधुमेह और आंतों से जुड़ी कोई अन्य समस्या भी हो सकती हैं।

गुर्दे की पथरी के लक्षण
गुर्दे की पथरी से पीठ या पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द हो सकता है, जो कुछ मिनटो या घंटो तक बना रह सकता है। इसमें दर्द के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी की शिकायत भी हो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं मूत्र में रक्त भी आ सकता है।

चलिये विस्तार से जानें इसके संकेत-
गुर्दे की पथरी से पीड़ित लोगों का मूत्र अक्सर गुलाबी, लाल या भूरे रंग का आना लगता है। जैसा कि स्टोन के बढ़ने और मूत्रमार्ग ब्लॉक हो जाता है, किडनी में पथरी वाले लोगों के मूत्र में रक्त के टिग्नेस आ सकते हैं।
गुर्दे की पथरी से पीड़ित लोग अक्सर लगातार या दर्द के साथ पेशाब आने की शिकायद करते हैं। ऐसा तब होताहै जब गुर्दे की पत्थरी मूत्रमार्ग में मूत्राशय से चली जाती है। ये स्थआनांतरण बेहद दर्दनाक होता है और यह अक्सर मूत्र पथ के संक्रमण (यूरिनरी ट्रेक्ट इंफैक्शन) का कारण भी बनता है।

पेट में गड़बड़ महसूस करना और मिचली आना किडनी स्टोन का संकेत हो सकता है और इसमें उल्टियां भी हो सकती हैं। उल्टियां दो कारणों से आती हैं, पहला कारण स्टोन के स्थानांतरण के कारण होना वाला तीव्र दर्द तथा दूसरा इ सलिए क्योंकि गुर्दे शरीर के भीतर की गंदगी (टॉक्सिक) को बाहर करने में मदद करते हैं और जब स्टोन के कारण अवरुद्ध हो जाते हैं तो इन टॉक्सिकों को शरीर से बाहर निकालने के लिए उल्टी ही एकमात्र रास्ता बचता है।
गंभीर दर्द होना गुर्दे की पथरी से पीड़ित लोगों के लिए एक आम समस्या है, विशेषकर कमर और कमर के निचले हिस्से में (ठीक पसलियों के नीचे जहां गुर्दे स्थित होते हैं)। दर्द पेट के निचले हिस्से से पेट और जांध के बीच के भाग में जा सकता है। यह दर्द तीव्र होता है और तंगों की तरह उठता है।

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