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दिल्ली में प्रदूषित हवा बन रही है सूखी खांसी और अस्थमा की वजह, बरतें ये सावधानिया

ऑय 1 न्यूज़ 28 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) दिल्ली समेत कई महानगरों में लोग सूखी खांसी से परेशान है। यह खांसी का वह प्रकार होता है जिसमें खांसते वक्त व्यक्ति की आंते तक हिल जाती हैं। इसमें न सिर्फ पांव से लेकर सिर तक जोर लगाना पड़ता है बल्कि कई बार खांसते वक्त मुंह से खून भी आ जाता है। डॉक्टर्स और एक्सपर्ट का कहना है कि सिर्फ अस्थमा या अधिक धूम्रपान करने वालों को ही नहीं बल्कि ये खांसी आम लोगों को भी हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषित हवा है। प्रदूषित हवा के चलते गंदे बैक्टिरिया और धूल मिट्टी के कण सांस लेते वक्त मुंह में चले जाते हैं और फिर फेफड़ों में जम जाते हैं। जिसके चलते सूखी खांसी होती है।
दिल्ली में प्रदूषित हवा बन रही है सूखी खांसी और अस्थमा की वजह, बरतें ये सावधानियां

  • प्रदूषित हवा के चलते धूल मिट्टी के कण सांस लेते वक्त मुंह में चले जाते हैं।
  • वायरल और बैक्टीरियल दोनों तरह के संक्रमण से फेफड़े या गुर्दे की बीमारी होती है।
  • गले में जलन और खुजली हफ्तों से महीनों तक बनी रह सकती है।

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि सर्दी के महीनों में एलर्जी जनित खांसी अधिक होती है, जब तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषक और एलर्जी कारक तत्व वायुमंडल से हट नहीं पाते हैं, जिससे अस्थमा, एलर्जी राइनाइटिस और अन्य एलर्जी विकार बढ़ जाते हैं। तापमान और ठंड में अचानक परिवर्तन के चलते, शुष्क हवा भी वायुमार्ग को संकुचित करती है, जिससे कष्टप्रद खांसी शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहरों में आबादी का अधिकांश हिस्सा ओजोन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी प्रदूषक गैसों के कारण एलर्जी जनित खांसी से परेशान होता रहता है। अन्य कारकों में सड़क और निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल, पराग कण, धुआं, नमी, और तापमान में अचानक परिवर्तन शामिल हैं। गले में जलन और खुजली हफ्तों से महीनों तक बनी रह सकती है और यह तीव्रता में भिन्न हो सकती है।

डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि मौसमी एलर्जी के कुछ अन्य लक्षणों में नाक बहना, छींकना, आंखों में पानी और खुजली तथा आंखों के नीचे काले घेरे शामिल हैं। ये काले घेरे या एलर्जिक शाइनर्स नाक की गुहाओं में सूजे हुए ऊतकों और आंखों के नीचे रक्त के जमाव के कारण होते हैं। एलर्जी जनित खांसी आमतौर पर रात में तीव्र हो जाती है। प्रख्यात चिकित्सक ने कहा कि वायरल और बैक्टीरियल दोनों तरह के संक्रमण, अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों जैसे फेफड़े या गुर्दे की बीमारी, दिल की विफलता, फेफड़े की पुरानी प्रतिरोधी बीमारी या अस्थमा वाले लोगों में जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। अगर तेज बुखार दो दिन से अधिक समय तक बना रहे तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

कई वायरस के साथ, इसका कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। आपका डॉक्टर आपकी हालत की निगरानी करते हुए आपके लक्षणों का प्रबंधन करने के मकसद से दवाएं लिख सकता है। अगर डॉक्टर को जीवाणु संक्रमण का संदेह हो, तो वो एंटीबायोटिक्स लिख सकता है। एमएमआर और पर्टुसिस वैक्सीन का उपयोग करने से श्वसन संक्रमण होने का खतरा काफी कम हो सकता है। इसके अलावा, सभी को खान पान में स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा कि अपने हाथों को बार-बार धोएं, खासकर तब जब आप किसी सार्वजनिक स्थान पर हों। हमेशा अपनी शर्ट की बांह में या टिश्यू पेपर में छींकें। हालांकि इससे आपके स्वयं के लक्षण कम नहीं हो सकते, लेकिन यह आपके संक्रामक रोग को फैलने से रोकेगा। अपने शारीरिक सिस्टम में कीटाणुओं के प्रवेश को रोकने के लिए अपने चेहरे, खासकर अपनी आंखों और मुंह को छूने से बचें।

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