ऑय 1 न्यूज़ 4 जनवरी 2019 (रिंकी कचारी) भारत में PUBG Game (PlayerUnknown’s BattleGround) बहुत तेजी से पॉपुलर हुआ है। युवाओं में इस गेम को लेकर काफी क्रेज देखा जा रहा है। मगर इस गेम का बच्चों और युवाओं के मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में 120 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए, जिनमें बच्चों के मेंटल हेल्थ पर इस गेम का विपरीत प्रभाव देखा गया। जानें क्या हैं इस गेम से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे।
क्या है PUBG गेम
PUBG एक गेम है जिसमें 100 प्लेयर्स एयरप्लेन से एक आइलैंड पर उतरते हैं। यहां पहुंचने पर उन्हें वहां मौजूद अलग-अलग घर व स्थानों पर जाकर आर्म्स, दवाइयां और कॉम्बेट के लिए जरूरी चीजों को कलेक्ट करना होता है। प्लेयर्स को बाइक, कार और बोट मिलती है ताकि वह हर जगह जा सकें और दूसरे अपोनन्ट को गेम में मारकर आगे बढ़ सकें। 100 लोगों में आखिर तक जिंदा रहने वाला प्लेयर गेम का विनर बनता है।
पिछले कुछ समय में ये गेम भारत में बहुत तेजी से पॉपुलर हुआ है। हाल में इस गेम की लत के कारण हजारों युवाओं के व्यवहार में परिवर्तन देखा गया है। चिकित्सकों के मुताबिक ये बहुत चिंताजनक है कि किसी गेम की लत के कारण हजारों युवाओं में असामान्य व्यवहार के मामले सामने आ रहे हैं।
PUBG ऐसे असर कर रहा है मस्तिष्क पर
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में आए सैकड़ों मामले में देखने में आया कि बच्चों में नींद की परेशानी, असल जिंदगी से दूरी, कॉलेज व स्कूल से लगातार ऐब्सेंट होने, ग्रेड्स गिरने और गेम छोड़ने पर गुस्सा बढ़ने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। बच्चे इस गेम में इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ खेलने के लिए रात के 3-4 बजे तक जागते हैं, जिससे उनको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो गई हैं।
गेम की लत के खतरे
- देर रात तक जागने के कारण युवाओं का स्लीपिंग पैटर्न बदल रहा है।
- स्लीपिंग पैटर्न बदलने से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ रहा है।
- सही नींद न ले पाने के कारण मस्तिष्क को नुकसान पहुंच रहा है, जिससे याददाश्त की कमजोरी, एकाग्रता की कमी, पढ़ाई में बाधा, बौद्धिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
- गेम में हथियारों के प्रयोग और जीतने की जंग के कारण युवाओं में आक्रामता बढ़ रही है।
- बच्चों के स्वभाव में एक अजीब तरह का चिड़चिड़ापन और असंवेदनशीलता देखी जा रही है।
- कई बार खाने-पीने और सोने आदि की आदतों में बदलाव के कारण बच्चों का शारीरिक विकास भी प्रभावित हो रहा है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
क्लीनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, शुरुआत में बच्चों में दिमागी असंतुलन के सिर्फ 3-4 मामले सामने आए थे। मगर समय के साथ ये मामले बढ़ने लगे और अब हर महीने 40 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। एक केस के बारे में बताते हुए डॉक्टर मनोज ने बताया कि हाल ही में 19 साल के लड़के को उसके पैरंट्स उनके पास लेकर आए थे। उन्हें बताया गया कि लड़का रात को करीब 4 बजे के बाद खेलना शुरू करता था ताकि वह इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ गेम को खेल सके। इस वजह से उसका स्लीपिंग पैटर्न बदल गया। वह दोपहर में करीब 12 बजे उठता और फिर करीब 8 घंटे तक लगातार गेम ही खेलता रहता।