नई दिल्ली.आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई है। राष्ट्रपति ने इलेक्शन कमीशन की सिफारिश को मंजूरी दे दी। सरकार ने रविवार को इसका नोटिफिकेशन जारी किया। सदस्यता रद्द किए जाने वाले MLAs में शामिल अलका लांबा ने फैसले पर कहा कि हमारे लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खुले हैं। बता दें कि बीते शुक्रवार इन 20 विधायकों के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ के पद) मामले में शुक्रवार को चुनाव आयोग (EC) ने राष्ट्रपति को सिफारिश भेजी थी। EC ने कहा था, “संसदीय सचिव होने के नाते ये लोग (AAP विधायक) लाभ के पदों पर थे, इसलिए दिल्ली विधानसभा के MLAs के तौर पर इनकी सदस्यता रद्द की जाए।” इस सिफारिश के खिलाफ 7 विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में तुरंत सुनवाई की डिमांड की थी। सुनवाई के दौरान HC ने विधायकों को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।
सदस्यता रद्द होने पर AAP ने क्या कहा?
– अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हमारे 20 विधायकों पर झूठे केस कर दिए, मुझ पर सीबीआई की रेड करा दी और तब भी इनको कुछ नहीं मिला। इनको पूरे देश में केजरीवाल ही करप्ट मिला, बाकी सब ईमानदार हैं। जब कुछ नहीं हुआ तो हमारे 20 विधायकों को डिसक्वालिफाई कर दिया।”
– AAP के सीनियर लीडर आशुतोष ने कहा कि सदस्यता रद्द किया जाना असंवैधानिक है और ये लोकतंत्र के लिए खतरा है।
– फैसले से प्रभावित विधायक अलका लांबा ने कहा, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है और राष्ट्रपति ने ये फैसला बहुत जल्दबाजी में लिया है। उन्होंने हमें बोलने का मौका भी नहीं दिया। केंद्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल कर रही है। हमें न्यायपालिका पर विश्वास है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दरवाजे हमारे लिए खुले हुए हैं।
इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द
– अयोग्य ठहराए गए दिल्ली के विधायकों में आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल वाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (महरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोम दत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिव चरण गोयल (मोति नगर), सुखवीर सिंह (मुंडका), विजेंदर गर्ग (रजिंदर नगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) के नाम शामिल हैं।
AAP विधायकों पर क्या था मामला?
– अरविंद केजरीवाल सरकार ने इन विधायकों को संसदीय सचिव अप्वाइंट किया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने ही 8 सितंबर 2016 को 21 विधायकों के संसदीय सचिवों के तौर पर अप्वाइंटमेंट को रद्द कर दिया था। चुनाव आयोग ने 21 विधायकों को नोटिस जारी किया था। एक विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब से चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। इस वजह से केस 20 विधायकों के खिलाफ था।
AAP ने EC पर क्या आरोप लगाए थे?
1) मोदी का कर्ज उतार रहे हैं EC
– AAP लीडर सौरभ भारद्वाज ने कहा, “चीफ इलेक्शन कमिश्नर एके जोति रिटायरमेंट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कर्ज उतार रहे हैं। जब मोदी गुजरात के सीएम थे, तब एके जोति प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे और फिर चीफ सेक्रेटरी बने। वे सोमवार को रिटायर हो रहे हैं। तो आप (EC) मोदी जी का कर्ज उतारना चाहते हैं। आपने इलेक्शन कमिश्नर जैसी संवैधानिक पोस्ट को बंधुआ बना रखा है।”
2) EC पीएम ऑफिस का लेटर बॉक्स बने
– “इलेक्शन कमिश्नर को प्राइम मिनिस्टर ऑफिस का लेटर बॉक्स नहीं होना चाहिए। लेकिन, ये आज की सच्चाई है। पैनल ने विधायकों की बात सुनी ही नहीं।”
– AAP लीडर आशुतोष ने ट्वीट किया, “इलेक्शन कमीशन का फैसला स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।”
3) लोग बताएं कि गाड़ी, बंगला, तनख्वाह मिली या नहीं
– AAP लीडर सौरभ भारद्वाज ने कहा, “आज कई टीवी चैनल्स पर खबर चल रही है कि AAP के 20 विधायकों के बारे में EC ने राष्ट्रपति को सिफारिश भेजी है। आरोप है कि किसी आदमी ने शिकायत की है कि AAP के 21 विधायकों के पास लाभ के पद हैं। ये वो पद होते हैं, जिनके पास सरकारी गाड़ी, बंगला है या फिर उन्हें तनख्वाह मिल रही है। मैं ये जानना चाहूंगा कि इन विधायकों के क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने देखा हो कि इनके पास सरकारी गाड़ी, बंगला, बैंक स्टेटमेंट हो जिससे पता चले कि इन्हें तनख्वाह मिल रही है।”
4) साजिश रचकर विधायकों को हटा रहे हैं
– किसी भी संसदीय सचिव को वेतन, बंगला और गाड़ी नहीं मिली। जब लाभ हुआ ही नहीं है तो आप साजिश रचकर इन विधायकों को हटा रहे हैं। अचल कुमार जोति पूरी दिल्ली पर अपना फैसला थोपना चाहते हैं। मोदी जी की चुनी हुई सरकार और उनके तहत काम करने वाले संस्थान सोर्सेस के जरिए ही काम करते हैं।”
फैसले का केजरी सरकार पर क्या असर पड़ेगा?
– इस फैसले से मोदी सरकार को कोई संकट नहीं है। 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद भी AAP के पास बहुमत से 10 विधायक ज्यादा हैं। हालांकि, जिन विधायकों की सदस्यता रद्द की गई है, वहां अब बाई इलेक्शंस होंगे।
दिल्ली विधानसभा
– कुल सीट: 70
– AAP:66-20 = 46
– BJP:4
– बहुमत के लिए जरूरी: 36
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट क्या होता है?
– कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 102 (1) (ए) के तहत सांसद या विधायक ऐसे किसी और पद पर नहीं हो सकता, जहां अलग से सैलरी, अलाउंस या बाकी फायदे मिलते हों।
– इसके अलावा आर्टिकल 191 (1)(ए) और पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव एक्ट के सेक्शन 9 (ए) के तहत भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में सांसदों-विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रोविजन है।
– संविधान की गरिमा के तहत ‘लाभ के पद’ पर बैठा कोई व्यक्ति उसी वक्त विधायिका का हिस्सा नहीं हो सकता।
MLA बोलीं- SC के दरवाजे खुले हैं ऑफिस ऑफ प्रॉफिट: AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द
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