ऑय 1 न्यूज़ 4 जनवरी 2019 (रिंकी कचारी) अयोध्या रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए नई बेंच के गठन का ऐलान किया है. कोर्ट ने कहा कि मामले की डे-टू-डे सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच बनेगी, जिसके नामों का फैसला 6 से 7 जनवरी तक हो जाएगा. बेंच अगर फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत मामले की सुनवाई करती है तो सालों पुराने इस विवाद का फैसला महज 60 दिन में आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक से जुड़े मुकदमे की सुनवाई करते हुए नई बेंच के गठन का ऐलान किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नई बेंच 10 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी. माना जा रहा है कि 6-7 जनवरी तक नई बेंच और उसमें शामिल होने वाले जजों के नाम का ऐलान हो जाएगा. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद हिंदू महासभा के वकील ने कहा है कि अगर नई बेंच मामले की सुनवाई रोजाना करती है तो सालों पुराने इस विवाद का फैसला 60 दिनों में भी आ सकता है.
शुक्रवार को हिन्दू महासभा के वकील ने कहा कि हम 10 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के समक्ष अपनी बात रखेंगे और मामले में रोजाना सुनवाई की अपील करेंगे. उन्होंने बताया कि इस मामले में दोनों तरफ से अपना-अपना पक्ष रखा जा चुका है, डॉक्यूमेंट्स का आदान-प्रदान हो चुका है, ट्रांसलेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 90 दिनों में की थी सुनवाई
हिन्दू महासभा के वकील ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 90 दिनों में रोजाना सुनवाई कर अयोध्या मामले में अपना फैसला किया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट से यह अपील है कि अगर मसले पर दोनों पक्ष सहयोग करें तो 60 दिन के अंदर फैसला आ सकता है.
हिन्दू महासभा के वकील ने कहा कि हम जल्द सुनवाई की अपील करेंगे. चुनाव का इससे कोई संबंध नहीं है, चुनाव तो आते- जाते रहेंगे. कोर्ट एक अलग संस्था है. इसलिए अयोध्या मामले को उससे जोड़कर नहीं देखना चाहिए. जल्द सुनवाई इसलिए क्योंकि 500 सालों से हिन्दू धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाएं इसका इंतजार कर रही हैं.
साल्वे और धवन को नहीं मिला अपनी बात रखने का मौका
शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने कहा, ‘एक उपयुक्त पीठ मामले की सुनवाई की तारीख तय करने के लिए 10 जनवरी को आगे के आदेश देगी.’ सुनवाई के लिए मामला सामने आते ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामला है और इसपर आदेश पारित किया. अलग-अलग पक्षों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे और राजीव धवन को अपनी बात रखने का कोई मौका नहीं मिला. मामले की सुनवाई 30 सेकेंड भी नहीं चली