अब तक सरकार ने आधार को लेकर जो कहा है, उसके हिसाब से आपके आधार नंबर के जरिए कोई भी आप से जुड़ी कोई जानकारी नहीं हासिल कर सकता है। आपके और सरकार के सिवा अगर किसी और के पास आपका आधार नंबर और नाम या फिंगरप्रिंट है, तो वो आधार के डेटाबेस से उसकी तस्दीक भर कर सकता है। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि प्रमाणीकरण विफलता के कारण लगभग 14 करोड़ लोगों को लाभ से वंचित किया गया है।
केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ताओं की प्रस्तुतियों से इनकार किया है। सरकार के मुताबिक ऐसी बात पूछे जाने पर सिस्टम उसके जवाब में हां या ना ही कहेगा कि ये आंकड़े मिलते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो थर्ड पार्टी यानी आपके और सरकार के सिवा किसी तीसरे के पास आपका आधार नंबर और नाम है, तो UIDAI (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) सिर्फ उसे सही या गलत बता सकती है।
केवाईसी की जरूरत आधार के जरिए ‘ऑथेंटिफिकेशन प्लस’ नाम की एक सेवा भी दी जाती है। इसमें किसी शख्स का नाम, उम्र और पते की जानकारी दर्ज की जाती है। इस जानकारी को कोई सेवा प्रदाता यानी सेवा देने वाली कंपनी या पड़ताल करने वाली एजेंसी हासिल कर सकती है। असल में कानूनन बैंकिंग सेवाएं या कई और सेवाएं देने वाली कंपनियों को केवाईसी (KYC) यानी अपने ग्राहक को जानने की बाध्यता है।
कंपनियों को वेरिफिकेशन के लिए किसी शख्स के आधार के जरिए जानकारी हासिल करना आसान हो गया है, क्योंकि उनके लिए अपने ग्राहक का वेरिफिकेशन करना जरूरी है। UIDAI ने आधार के जरिए e-KYC यानी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वेरिफिकेशन की सुविधा देनी भी शुरू की है। इसकी वेबसाइट के मुताबिक ये सेवा कारोबार जगत के लिए है, जिसमें बिना कागजात की पड़ताल के फौरन किसी शख्स का वेरिफिकेशन हो सकता है।