जानकारी के अनुसार रविवार की रात पूजा पाठ करने के बाद जैसे ही बाबा धनेश्वर गिरि गेट की तरफ गए, तेंदुआ अचानक उन पर झपट पड़ा। इसके बाद काफी समय तक बाबा और तेंदुआ एक दूसरे से भिड़ते रहे। हालांकि, बाबा के भी तंदरुस्त होने के कारण वह भी तेंदुए पर हावी रहे। काफी समय तक उन्होंने तेंदुए को काबू करके रखा। अंतत: बाबा ने गेट खोला तो
तेंदुआ रफूचक्कर हो गया। तेंदुए के साथ भिड़ते हुए बाबा का हाथ जख्मी हो गया। अस्पताल में उपचाराधीन बाबा के हाथ में कई टांके लगे हैं।
बहरहाल, बाबा धनेश्वर गिरि का उपचार स्थानीय निजी अस्पताल में चल रहा है। बाबा धनेश्वर गिरि जूना अखाड़े से संबंध रखते हैं। पिछले 4 माह से वह महात्माओं की गद्दी संभाल रहे हैं। हाल ही में महात्माओं ने उन्हें पीठाधीश की उपाधि देकर अलंकृत किया है।
धनेश्वर गिरि ने बताया कि पूजा पाठ संपन्न होने के बाद ही उन पर तेंदुए ने हमला किया। रात 11 बजे का समय था जब गेट खोलते ही तेंदुआ उन पर झपट पड़ा। उन्होंने भी काफी समय तक तेंदुए को काबू करके रखा। उन्होंने बताया कि कुटिया में वह अकेले ही होते हैं। तेंदुए के झपटने के बाद वह स्वयं भी दूने में गिर गए लेकिन उन्होंने अपने साहस को नहीं खोया। काफी देर बाद जब उन्होंने गेट खोला तो तेंदुआ भाग खड़ा हुआ।