ब्यूरो रिपोर्ट :19 मार्च 2018
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह का ड्रीम प्रोजैक्ट पी.आर.टी.सी. का आधुनिक बस स्टैंड फिलहाल अफसरों की ज्यादा समझदारी की भेंट चढ़ गया है। एक साल पहले जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी तो बाकी 4 बड़े प्रोजैक्टों केसाथ लोगों को उम्मीद जागी थी कि शायद पटियालवियों को आधुनिक बस स्टैंड मिल जाएगा।इसके लिए कोशिशें भी बड़े स्तर पर शुरू हुईं। कई मीटिं
गें हुईं, विचार बनाए गए, परन्तु एक साल तक अफसरों की ज्यादा समझदारी के कारण यह प्रोजैक्ट फिर से ठंडे बस्ते में चला गया है। बस स्टैंड किस जगह पर शिफ्ट किया जाए, यह सवाल पिछले कई सालों से एक पहेली बना हुआ है। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद जब श्री के.के. शर्मा को पी.आर.टी.सी. का चेयरमैन लगाया तो
उसी समय से नए बस स्टैंड की योजनाएं बनने लग पड़ी थीं, परन्तु एक साल बाद भी हालात वही नजर आ रहे हैं।
ये है पूरा मामला
पटियाला में पी.आर.टी.सी. का बस स्टैंड है, परन्तु बस स्टैंड की स्पेस काफी कम है और पुराना होने के कारण मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने मथुरा कालोनी के पास नया आधुनिक बस स्टैंड बनाने की योजना बनाकर वहां नींव पत्थर भी लगा दिया था। इस जगह पर कानूनी कार्रवाई के कारण टैंडर होने के बावजूद कार्रवाई अटक गई। इसके बाद अब जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो सबसे पहले बस स्टैंड के सामने वाली राजपुरा कालोनी में कुछ जमीन मांगी गई ताकि पुराने बस स्टैंड और वर्कशाप की जगह का प्रयोग करके कम जगह में काम चलाया जा सके, परन्तु डिप्टी कमिश्नर की तरफ से यह जगह देने से मना कर दिया गया।
इसके बाद इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट की राजपुरा रोड पर राजपुरा-सरङ्क्षहद बाईपास के साथ लगती जगह पर बस स्टैंड की योजना बनाई गई, जिसके लिए कई मीटिंगें हुईं और जब बात सिरे चढऩे लगी तो इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने पी.आर.टी.सी. से इस जगह के 122 करोड़ रुपए मांग लिए। आॢथक घाटे में से गुजर रही पी.आर.टी.सी. ने122 करोड़ रुपए देने से इंकार कर दिया। इस कारण नया बस स्टैंड बनने का मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है।
मुख्यमंत्री कैप्टन और सुखबीर बादल रख चुके हैं आधुनिक बस स्टैंड का नींव पत्थर
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल दोनों ही पटियाला के नए बस स्टैंड का नींव पत्थर रख चुके हैं। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पिछली सरकार के समय नए बस स्टैंड का नींव पत्थर रखा और 18 फरवरी 2009 को उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने फिर से नींव पत्थर रखा था। इसके बावजूद पटियाला को पिछले 15 सालों से बस स्टैंड नसीब नहीं हो पाया।
पटियाला में बस स्टैंड के लिए शहर के दायरे में जगह भी है, सरकार भी बस स्टैंड बनाने के लिए राजी है, बस कुछ अफसरों की जिद रुकावट बनी हुई है। ये अफसर जमीनी हकीकत की बजाय अपनी बुद्धिमत्ता को ज्यादा बड़ा आधार मान रहे हैं और बस स्टैंड बनने में रुकावट बन रहे हैं।
आधुनिक बस स्टैंड शाही शहर की सबसे बड़ी जरूरत
पटियाला में आधुनिक बस स्टैंड समय की सबसे बड़ी जरूरत है। एक तो वर्तमान बस स्टैंड काफी छोटा है और दूसरा जिस जगह पर बना हुआ है, वहां समय के साथ बढ़े ट्रैफिक के कारण वहां आए दिन हादसे होते हैं। बस स्टैंड छोडऩे जाने वाले व्यक्ति के लिए न तो कोई पार्किंग है और न ही अंदर लोगों को ले जाने हेतु जगह मिलती है। पिछले 15 सालों में कई बड़े-छोटे शहरों में आधुनिक बस स्टैंड बन चुके हैं परन्तु पटियाला अभी भी आधुनिक बस स्टैंड से खाली ही चला आ रहा है।