विधायक का बेटा जब बीमार हुआ, तब अस्पताल में अव्यवस्था का पता चला। मंत्री जी, मुझे अस्पताल में अव्यवस्था का पता तब चला, जब मेरा बेटा बीमार था। अस्पताल की हालत दयनीय है।
50 बेड स्वीकृत हैं, लेकिन कमरे में मरीजों के लिए 16 से भी कम बिस्तर लगे हैं। कई मरीजों के लिए तो अस्पताल के बाहर खुले में बेड लगाए गए हैं। इस सिविल अस्पताल में न मशीनरियां हैं और न ही मरीजों के उपचार के लिए स्टाफ।
विधायक की बात से दंग रह गए सदस्य
मुख्यमंत्री जी, आप इस ओर ध्यान देंगे तो मैं आभारी रहूंगी। भोरंज की विधायक कमलेश कुमार ने अपने विधानसभा क्षेत्र के अस्पताल की हालत का सदन में कुछ इस तरह बखान किया। महिला विधायक पहली बार विधानसभा पहुंची हैं। उनके प्रश्न पर सदन में सभी सदस्य दंग रह गए।
जवाब में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार बोले – विधायिका ठीक बोल रही हैं। वर्ष 2014 में अस्पतालों का दर्जा बढ़ाया गया। पूर्व सरकार में फट्टे लगाने का ही काम किया गया। उन्होंने आश्वस्त किया कि अस्पताल में मशीनरियां स्थापित की जाएंगी।
जहां तक स्टाफ की बात है स्वास्थ्य निदेशक कार्यालय में हर मंगलवार को डॉक्टरों के साक्षात्कार हो रहे हैं। अस्पताल के लिए डॉक्टर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। अस्पताल के लिए नया भवन बनाने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
विधायक अपनी प्राथमिकता में शामिल करें योजनाएं
आईपीएच महेंद्र सिंह ने कहा है कि बीते 3 वर्षों 2014-15, 2015-16 तथा 2016-17 में बैजनाथ विधानसभा में केवल 1 बहाव सिंचाई योजना तडूहल कूहल निर्माणाधीन है। इस पर कुल 74.71 लाख रुपये व्यय किए गए तथा 7 कूहलों की मरम्मत पर 29.31 लाख खर्च हुए।
उन्होंने यह जानकारी विधायक मुलखराज के प्रश्न के उत्तर में दी। उन्होंने कहा कि 12 कूहलों के लिए 6.62 करोड़ की आवश्यकता है। उन्होंने विधायक को सलाह दी कि यदि वे चाहें तो इस योजना को विधायक प्राथमिकता में डाल सकते हैं।
मंत्री के उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए विधायक नेगी
विधायक हर्षवर्धन चौहान की गैर मौजूदगी में जगत सिंह नेगी ने शिलाई विस क्षेत्र की पेयजल एवं सिंचाई योजनाओं से संबंधित प्रश्न पूछा। वे मंत्री की तरफ से दिए गए उत्तर से संतुष्ट नहीं नजर आए।
कहा कि सरकार को अधूरी योजनाओं के लिए बजट में प्रावधान करना चाहिए। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्व सरकार ने ऐसी योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध नहीं करवाया।
मौजूदा वित्तीय वर्ष, 2017-18 के लिए 4.71 करोड़ बजट की आवश्यकता थी, जबकि इसके लिए सिर्फ 3 लाख रुपये उपलब्ध करवाए गए। उन्होंने जानकारी दी कि शिलाई विस क्षेत्र में 11 पेयजल और 10 सिंचाई योजनाओं का कार्य प्रगति पर है।
बाहरी से आने वाले दूध से बने पदार्थों के 10 सैंपल फेल
बाहरी राज्यों से दूध, पनीर, दही और आइसक्रीम की सप्लाई घटिया किस्म की हो रही है। बीते तीन सालों में स्वास्थ्य विभाग ने इन खाद्य वस्तुओं के 86 सैंपल जुटाए हैं। इनमें 10 सैंपल फेल हुए हैं। दूध के 3, दही के 5, पनीर और आइसक्रीम के 1-1 सैंपल शामिल हैं।
स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ने यह जानकारी सरकाघाट के विधायक इंद्र सिंह के लिखित प्रश्न के उत्तर में दी। कहा कि इन खाद्य वस्तुओं की जांच संयुक्त विश्लेषण प्रयोगशाला कंडाघाट में की गई।
दूध के सैंपल फेल होने पर दो खाद्य व्यापारियों को खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम-2006 के तहत नोटिस भेजा है। एक व्यापारी को 30 हजार जुर्माना लगाया गया, जबकि दही के सैंपल फेल होने पर दो व्यापारियों को 52 हजार का जुर्माना लगाया है।
दो के खिलाफ कुल्लू न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया। एक व्यापारी को नोटिस दिया गया है। पनीर व्यापारी को 10 हजार, जबकि आइसक्रीम के सैंपल फेल होने वाले व्यापारी पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है।