प्रदेश में बंदरों के बढ़ते आतंक का मामला विधायकों ने विधानसभा सत्र में उठाया। प्रदेश में बढ़ते बंदरों के आतंक और उससे प्रभावित हो रहे किसानों-बागवानों की परेशानी बयां करने के लिए वीरवार को कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह ने सदन में प्राइवेट मेंबर्स डे पर संकल्प पेश किया।
चर्चा के दौरान अनिरुद्ध ने कहा कि बंदरों के आतंक के चलते बड़ी संख्या में किसानों-बागवानों ने खेती बागवानी छोड़ दी है। वहीं, आए दिन लोगों को भी बंदरों के हमलों का शिकार होना पड़ रहा है। नसबंदी की योजना भी पूरी तरह विफल रही है।
ऐेसे में सरकार विभाग द्वारा टीमें तैयार कर बंदरों को मारने की प्रक्रिया शुरू करे। वहीं, उन्होंने बंदरों की वजह से हो रहे नुकसान का मुआवजा देने का प्रावधान करने की भी मांग की।
चर्चा के दौरान विधायक कर्नल इंदर सिंह ने सरकार को बंदरों की समस्या से निपटने के सुझाव दिए। कहा कि पिछली सरकार सिर्फ करोड़ों रुपये खर्च कर कागजों पर बंदरों की समस्या से निपटती रही। अब नई सरकार को चाहिए कि वह मनरेगा के तहत रखवाला रखने का प्रावधान करे।
बंदरों को मारने के लिए टास्क फोर्स गठित की जाए
इसके अलावा सुझाव दिया कि बंदरों को खाने का सामान न डालने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। बंदरों को मारने के लिए टास्क फोर्स गठित की जाए और नसबंदी प्रक्रिया को और सुदृढ़ करने व समय समय पर इसकी जमीनी हकीकत जानने, बंदरों का निर्यात करने व न होने पर दूसरे प्रदेशों में भेजने
और फलदार पौधों का पौधारोपण करने का सुझाव दिया। वहीं, सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बंदरों के आतंक की समस्या अब नासूर बन गई है। बीट चिह्नित कर बंदरों को मारने का काम किया जाना चाहिए।
उन्होंने पिछली कांग्रेस समेत अन्य सरकारों द्वारा बंदर पकड़ने व नसबंदी में हुए खेल पर भी सवाल उठाए। कहा कि भाजपा ने राम मंदिर के लिए अभियान चलाया था, ऐसे में अब बंदरों से निपटने के लिए भी अभियान चलाए।
बंदरों से कृषि व बागवानी को इतना नुकसान
वहीं, विधायक नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि 200 करोड़ की कृषि व सौ करोड़ की बागवानी का नुकसान बंदरों के चलते हो गया है। सरकार ठोस कदम उठाए। कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार पंचायत स्तर पर होमगार्डों को तैनात करे
ताकि वह बंदरों को मार कर लोगों की समस्या को दूर करें और इससे होमगार्डों को भी काम मिल सके। वहीं उन्होंने किन्नौर में हुए ट्रायल के आधार पर सरकार से मांग की कि वह जानवरों पर चिप लगाकर उनकी निगरानी करने का प्रयास करे।
विधायक सुखराम चौधरी ने भी बंदरों का वैज्ञानिक तरीके से कलिंग करने पर ही जोर दिया। विधायक सुरेश कश्यप, राजेंद्र राणा और विक्रम जरयाल ने भी समस्या से निपटने के लिए ठोस नीति बनाने की मांग रखी।
बिंदल बोले, बंदर को आस्था से न जोड़ें
चर्चा के दौरान विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने वक्ता को रोकते हुए कहा कि बंदर को वानर न माना जाए। कहा कि वानर वन में रहने वाले नर को कहा जाता था जिनकी मदद से भगवान राम ने रावण से युद्घ लड़ा। ऐसे में इसे आस्था से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
रेणुका से कांग्रेस के विधायक विनय कुमार वीरवार को विधानसभा में सत्तापक्ष की ओर की सीटों के बीच एक मंत्री की सीट पर ही बैठ गए और उनसे अपने मामले निपटवाते रहे।
प्रश्नकाल के बाद जब विधानसभा में अन्य कार्यवाहियां चल रही थीं तो वे आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह की बगल में एक अन्य मंत्री की सीट के खाली होने पर बैठ गए। इस बीच सभापति की भूमिका में विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज थे। कई सदस्यों का ध्यान उस ओर खिंचा जरूर, मगर किसी ने कुछ कहा नहीं।