ब्यूरो रिपोर्ट “8 मार्च 2018
हाथों की लकीरों पर मत कर गुमान इतना, तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के हरोली के भदसाली में तैनात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा देवी पर यह पंक्ति सटीक बैठती है।
पुष्पा ने दोनों हाथों के बगैर ही अपनी तकदीर लिख डाली है। वह महज छह महीने की थी तो घर में जलते चूल्हे की आग में उसके दोनों हाथ जल गए। मुफलिसी के दौर में हादसे ने परिवार को सदमा दे दिया था।
लेकिन दोनों हाथ गंवा चुकी पुष्पा देवी थोड़ी बड़ी होने पर घर के काम-काज में हाथ बंटाने समेत पढ़ाई में अव्वल आने लगे। इससे माता पिता के लिए वह नई उम्मीद बन गई।
तीन बहनों और दो भाइयों में सबसे छोटी पुष्पा देवी ने जमा दो की परीक्षा पास करने के बाद बीए द्वितीय वर्ष की भी परीक्षा दी, लेकिन किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया और वह बीए नहीं कर सकी।
जुनून और कड़ी मेहनत के दम पर पा लिया मुकाम
