हमारी उदारता को हमारी कमजोरी न समझा जाए, हम अपनी शक्ति भी दिखा सकते हैं। चंडीगढ़ को देश में नंबर 1 पर लाना है। भले ही वह सफाई की बात हो या पढ़ाई की।
यह अच्छी बात नहीं है कि हर साल यूनिवर्सिटी को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़े व हाईकोर्ट के चक्कर काटने पड़ें। इसकी वित्तीय सहायता के लिए कुछ फिक्स्ड डिपोजिट होना चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी यूनिवर्सिटी को आ रहे वित्तीय संकट को लेकर की।
वहीं दूसरी ओर पंजाब सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी की मौजूदा स्थिति में किसी भी प्रकार के बदलाव के प्रयास का विरोध किया है। पंजाब सरकार के एडिशनल चीफ सैक्रेटरी (हायर एजुकेशन) एस.के. सिद्धू ने अपने एफिडेविट में यह कहा है।
इस बीच हरियाणा सरकार ने यूनिवर्सिटी की मदद का आश्वासन दिया है, बशर्ते हरियाणा के कुछ कालेजों का पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ एफिलिएशन हो। हरियाणा सरकार ने यह मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष भी उठाया था।
पी.यू. की मौजूदा स्थिति में न हो बदलाव : पंजाब
बुधवार को हाईकोर्ट की डिविजन बैंच में सुनवाई के दौरान एफिडेविट में पंजाब सरकार ने एक ओर जहां पी.यू. की मौजूदा स्थिति में किसी भी प्रकार के बदलाव के प्रयास का विरोध किया है, वहीं परस्पर परामर्श प्रक्रिया के तहत पी.यू. के लिए सहायक अनुदान बढ़ाने के कदम के लिए खुला रूप दिखाया है। एफिडेविट में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी अपने वित्तीय मामलों का प्रबंधन व संवहन एकतरफा कर रही है।
पंजाब सरकार ने सहायक अनुदान को मौजूदा वित्त वर्ष में 20 करोड़ से बढ़ाकर 27 करोड़ कर दिया है। इससे पी.यू. को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में 35 प्रतिशत बढ़ौतरी की गई है। सरकार ने कहा है कि भले ही यह पंजाब यूनिवॢसटी की जरूरत के मुताबिक न हो मगर यह इसलिए है, क्योंकि कोई परामर्श प्रक्रिया नहीं चल रही जिससे यूनिवर्सिटी का वित्तीय प्रबंधन प्रभावित हो।