हिमाचल में बी.पी.एल. सूची में शामिल अपात्र परिवारों को बाहर किए जाने की रूपरेखा तैयार हो गई है। इसको लेकर सरकार ने स्थानीय पंचायतवासियों से भी सहयोग मांगा है। इसके तहत संबंधित पंचायतों के लोग अपनी पंचायतों में अपात्र बी.पी.एल. परिवारों की सूचना विभाग के साथ-साथ पंचायत सचिव और खंड विकास अधिकारी को भी दे सकते हैं। सरकार ने विभाग को नई बी.पी.एल. सूची तैयार करने को कहा है। इसका मकसद प्रदेश में गरीब परिवारों की वास्तविक संख्या का पता लगाना है। प्रदेश में पिछले कई सालों से बी.पी.एल. परिवारों की संख्या 3 लाख के आसपास है।
सरकार उनकी बेहतरी के लिए कई योजनाएं लागू कर चुकी है। उनका मत है कि कुछ योजनाओं का लाभ लेकर वे अपने को आर्थिक संपन्न भी बना चुके हैं। इसके बावजूद वे बी.पी.एल की श्रेणी में ही बने हुए हैं। उन्हें बाहर निकाल कर पात्र परिवारों को इस सूची में शामिल किया जाएगा, ताकि वह भी सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सके। अपात्र व्यक्तियों को सूची से बाहर करने के लिए सरकार ने अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय कर दी है। प्रदेश की किसी पंचायत में यदि कोई अपात्र व्यक्ति बी.पी.एल. की श्रेणी में पाया जाता है तो संबंधित पंचायत के अधिकारी इसके जिम्मेदार होंगे।
सरकार ने अधिकारियों को ऐसे अपात्र बी.पी.एल. परिवारों का पता लगाने को कह दिया है, जो साधन-संपन्न हैं और बी.पी.एल. श्रेणी के लोगों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। इससे पहले भी इस तरह के प्रयास हो चुके हैं, लेकिन उसके सार्थक परिणाम सामने नहीं आए हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि बी.पी.एल. सूची का अध्ययन किया जा रहा है। इसके तहत विभागीय अधिकारियों को अपात्र को इससे बाहर और पात्र परिवारों को सूची में शामिल करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
बजट सत्र से पहले होगी सूची तैयार
बजट सत्र से पहले विभाग को बी.पी.एल. परिवारों की सूची तैयार करने को कहा गया है, ताकि उसके अनुसार बजट का प्रावधान किया जा सके। सरकार का तर्क है कि यदि बी.पी.एल. परिवारों की संख्या में इजाफा होता है तो उस अनुसार उनके उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं को बजट भी बढ़ाया जाएगा।