प्रदेश सरकार ने आईजीएमसी में तैनात 11 डॉक्टरों को नाहन और मंडी मेडिकल कॉलेज में एक साल के लिए भेजा है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी फिजिशियन डॉ. प्रेम मच्छान का नाम भी शामिल हैं।
उन्हें नाहन मेडिकल कॉलेज भेजा गया है। इनके अलावा बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण भारद्वाज, आर्थो विभाग से डॉ. राजेश सूद, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. भगतराम, रेडियोलॉजी विभाग से प्रोफेसर विजय ठाकुर, पैथोलॉजी विभाग से डॉ. पूजा, साइकोलॉजी से
डॉक्टर तूलिका श्रीवास्तव को नाहन मेडिकल कॉलेज और मंडी मेडिकल कॉलेज के लिए तब्दील किया गया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों को एक साल के लिए भेजने से आईजीएमसी में परेशानी हो सकती है।
आईजीएमसी में प्रभावित हो सकता है काम
प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी से इतने डॉक्टरों के चले जाने से विभागों समेत ओपीडी का काम भी प्रभावित होगा। ये डॉक्टर सालों से यहां सेवाएं दे रहे थे। नए मेडिकल कॉलेज चलाने के चक्कर में पुराने कॉलेज और अस्पताल का कार्य प्रभावित होने का अंदेशा है।
डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को नए मेडिकल कॉलेज खोलने से पहले पुराने कॉलेजों में डॉक्टरों की स्थिति को भी देखना चाहिए। ऐसा न हो कि नए के चक्कर में पुराने कॉलेज एवं अस्पताल ही बंद हो जाएं।
सबसे ज्यादा प्रभावित होगा बाल रोग विभाग
डॉक्टरों को भेजने से आईजीएमसी के बाल रोग विभाग की ओपीडी का काम सबसे अधिक प्रभावित हो सकता है। इस विभाग से दो डॉक्टरों को नाहन मेडिकल कॉलेज के लिए भेजा गया है। बालरोग ओपीडी में रोजाना दर्जनों मामले आते हैं। अब दो विशेषज्ञों के तबादले के बाद हालत खराब हो सकती है।
डॉक्टर बोले, पॉलिसी पर विचार करे सरकार
डॉक्टरों का कहना है कि पेराफेरी में डॉक्टरों को 2 साल सेवाएं देनी होती हैं। ऐसे में अगर यह अवधि एक साल कर दी जाए तो बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या काफी हद तक कम हो सकती है। कहा कि सरकार को पालिसी पर विचार करना चाहिए।