और ब्लैंक चेक किसानों की तरफ से लिए जा रहे हैं। वही सेवा केंद्रों बंद करने सुखपाल खैहरा ने कहा कि सेवा केंद्र को बंद करने का फैसला गलत है क्योंकि जब एक बड़ा ढांचा चल रहा है उसमें लोग उसके साथ जुड़ भी रहे हैं तो ऐसे के सरकार को इनमें जो समस्याएं है उनको पूरा की जाए। वहीँ पंजाब में कैनेडा के मुख्यमंत्री के आने पर सुखपाल खेरा ने कहा कि हम पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख रहे हैं कि जो कनाडा के प्रधानमंत्री आ रहे है हम उनका सम्मान करना चाहते हैं क्योंकि कनाडा में पंजाबियों को बड़ा सम्मान मिला है व पंजाबियों ने भी वहां बुलंदी के झंडे झुलायें हैं। वहीँ पंजाब गैंगस्टर विक्की गौंडर के एनकाऊंटर पर सुखपाल खेरा ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए इस तरह के एक्शन लिए जाने सही है पर सरकार इस तरह की नोबात ही क्यों आने देती है की पंजाब में गैंगस्टर और गैंग इस मुकाम तक पहुंच जाती है।
कांग्रेस सरकार पर किसानों के टूबवैलों पर मीटर लगाने पर बोले सुखपाल खेर |
आई 1 न्यूज़ 27 जनवरी 2018 (अमित सेठइ )तिपक्ष नेता सुखपाल खेरा ने चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस कर पंजाब की कांग्रेस सरकार पर किसानों के टूबवैलों पर मीटर लगाने पर बोलते हुए कहा कि सरकार चोर दरवाजे से फैसला लागू करने जा रही है। नेता प्रतिपक्ष सुखपाल खैहरा ने कहा कि किसानों को जो मुफ्त बिजली दी जा रही है सब्सिडी के तौर पर उसको खत्म करके और आने वाले समय में किसानों के ट्यूबवेल के मीटर लगाए जाएंगे। वहीं सुखपाल खैहरा ने कहा कि बड़े किसानों को अपने बिजली की सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए ताकि गरीब किसानों को इसका फायदा मिल सके।
सुखपाल खैहरा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों और विधायकों ने बिजली सब्सिडी अभी तक नहीं छोड़ी है जो कि उन्हें छोड़ देनी चाहिए। सुखपाल खैहरा ने कहा कि किसानों पर 6000 करोड़ का बोझ है जबकि किसानों का 170 करोड़ का कर्जा ही माफ किया गया है। सुखपाल खैहरा ने कहा कि 170 करोड रुपए देकर 6000 करोड रुपए वापस ले लेना किसानों के साथ एक धोखा है। सुखपाल खैहरा ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जो किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था उसे उसे पूरा किया जाए। सुखपाल खैहरा ने कहा कि मुख्यमंत्री को बैंकों का आड़तियों का कर्जा माफ किया जाना चाहिए। वहीं सुखपाल खैहरा ने कहा कि कैबिनेट में मुख्यमंत्री ने किसानों का कर्जा कुर्की खत्म करने का फैसला लिया था लेकिन बैंकों द्वारा किसानों के खिलाफ वारंट निकाले जा रहे हैं
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