आई 1न्यूज़: संदीप कश्यप
पशु पालन विभाग द्वारा आज सोलन जिले के नालागढ़ उपमण्डल में पशु कल्याण के संबंध में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उपमण्डलाधिकारी नालागढ़ प्रशांत देष्टा ने की।
प्रशांत देष्टा ने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में किसानों एवं बागवानों की आर्थिकी को मजबूत बनाने में पशुधन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में प्राचीन समय से ही पशुधन महत्वपूर्ण रहा है। सोलन जिले में पशुधन की नस्ल को सुधारने एवं दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्राय यह देखने में आया है कि लोग पशुओं को बेसहारा छोड़ देते हैं, जो पशुओं के साथ-साथ मनुष्य के लिए भी परेशानी का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि पशुधन के कल्याण के लिए सभी का सहयोग आवश्यक है। पशुधन विशेषकर दुधारू पशु दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ कृषि एवं बागवानी के विभिन्न कार्यों में महत्वपूर्ण हैं।
उपमण्डलाधिकारी नेे कहा कि पशुधन को बचाने की जरूरत है। गौसदनों में फस्र्ट एड बाॅक्स तथा पशुओं की जांच के लिए अलग से कमरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में क्षेत्र में नंदी शालाएं खोलने के प्रयास भी किए जाएंगे।
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे सरकार द्वारा पशु कल्याण के लिए कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं।
इस अवसर पर पशु पालन विभाग के उप निदेशक संजय ठाकुर ने कहा कि नालागढ़ उपमण्डल में वर्तमान में 16 गौशालाएं पंजीकृत है। उन्होंने गौशाला संचालन के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गौशाला में बीमार पशु पर व्यय किए जाने वाले कुल खर्च का 25 प्रतिशत सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश 32 हजार गाय ऐसी हैं जिन्हें बेसहारा एवं लावारिस छोड़ दिया गया है। इनमें से 11 हजार गाय को प्रदेश के विभिन्न गौसदनों में रखा गया है।
इस अवसर पर सहायक निदेशक बी.वी. गुप्ता, वरिष्ठ पशु चिकित्सक डाॅ.राजीव वालिया, कृषि विशेषज्ञ डी.आर. ठाकुर, धर्मपुर से डाॅ. विजय पाठक, सुबाथु से डाॅ. अंकुर गुप्ता, बागवानी विभाग नालागढ़ से डाॅ. भूपेन्द्र सैनी तथा विभिन्न गौसदनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।