आई 1 न्यूज़ 9 जनवरी 2018 (आर पी सिंह) चंडीगढ़ : पंजाबी मूल के एक युवा फ्रांसीसी एनआरआई, गुरुप्रीत कंग ने ‘दो मना दा युद्ध’ शीर्षक के तहत 70 पंजाबी कविताओं का अपना पहला कविता संग्रह प्रस्तुत किया है। पुस्तक का विमोचन प्रसिद्ध पंजाबी कवि सुरजीत पातर ने होटल जेडब्ल्यू मैरियट, चंडीगढ़ में, अलंकार थिएटर द्वारा पंजाब कला परिषद के सहयोग से आयोजित एक एक समारोह में किया।
‘दो मना दा युद्ध’ की कविताओं में कवि ने अन्याय, भ्रष्टाचार, निर्धनता, विश्वासघात की राजनीति और समकालीन भारत की अन्य कई सामाजिक समस्याओं पर गहराई से अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है। काव्य संग्रह के रचयिता, गुरप्रीत कंग ने बताया, ‘मैंने पिछले 20 वर्षों की अवधि में लगभग 600 कविताएं लिखी हैं, जिनमें से चुनिंदा कविताओं का पहला संग्रह है ‘दो मना दा युद्ध’। मैंने भारत की विभिन्न सामाजिक समस्याओं पर अपने विचारों को इन कविताओं में समेटा है। एक समय ऐसा आया जब मैं इन समस्याओं से दुखी होकर किसी बिल्डिंग की सबसे ऊंची छत पर जाकर जोर से चिल्लाकर अपने दिल की बात कहना चाहता था। फिर मैंने कविताओं को युवाओं के लाभार्थ प्रकाशित करने और एक व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचाने के बारे में सोचा। एक बहुत गहरा संदेश है जो मैं अपनी कविताओं के माध्यम से प्रचारित करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि एक दिन जरूर कुछ लोग मेरी लिखी पंक्तियों से प्रेरित होंगे। तब शायद एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।’
एक बच्चे के रूप में, कंग ने अपने दादाजी से विभाजन के बाद की तकलीफों की अनेक कहानियां सुनी थीं। ‘लेकिन जब मैंने वर्तमान स्थितियों को देखा तो लगा कि धर्म से जुड़ी समस्याएं तो आज भी मौजूद हंै और इसके नाम पर बहुत सी हत्याएं हो रही हैं। मेरी कुछ कविताओं में इस पहलू को उजागर किया गया है,’ कंग ने कहा। ‘दो मना दा युद्ध’ शीर्षक वाली कविता सही और गलत का चुनाव करते समय सभी भारतीयों के मन में चलने वाले द्वंद का जिक्र करती है। एक मन कहता है कि दूसरों की मदद करो, तो दूसरा मन रोकता है कि क्यों किसी मुसीबत में पड़ा जाये। भारतीय सिस्टम गलत चीजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों और भलाई करने वालों को आतंकित करता है। ‘मैथों कहतों दर्दां’ कविता में एक गरीब व्यक्ति अमीर,शक्तिशाली और भ्रष्ट लोगों से कहता है कि वह तो बिना जीभ के पैदा हुआ है और भोजन व मकान जैसी बुनियादी चीजों के लिए संघर्ष कर रहा है। उसे कहां फुर्सत है गलत तरीकों से धन इक_ा करने वालों पर ध्यान देने की। ‘बदलाव’ नामक कविता में कंग ने भारत में ऐसे लोगों की कमी का उल्लेख किया है, जो समाज में गड़बड़ी के खिलाफ आवाज बुलंद करते हैं। आज की गंदी राजनीति का जिक्र उनकी कविता ‘लीडरां’ में देखने को मिलता है। इसके अलावा भी कई प्रासंगिम कविताएं 120-पेज की इस पेपर-बैक किताब में मौजूद हैं। उल्लेखनीय है कि कंग की एक सैल्फ हैल्प बुक ‘एब्जोल्यूट लिबरेशन’ पहले ही प्रकाशित हो चुकी है। अब वे क्रिप्टो करेंसी या बिटकॉइंस पर एक किताब लिख रहे हैं। अफ्रीका में सामाजिक कार्य करने के लिए उन्होंने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ गठबंधन किया है। ‘दो मना दा युद्ध’ किताब का मूल्य रु. 150 रखा गया है, ताकि समाज के सभी स्तरों के पाठक इसे ले सकें। यह किताब फिलहाल अमेज़ॅन वेबसाइट पर उपलब्ध है।’मैंने यह कविता संग्रह अपनी 9-वर्षीय भतीजी मनकोमल और 2-वर्षीय भतीजे शुभनमन को समर्पित किया है। मुझे उम्मीद है कि जब वे बड़े हो जायेंगे तो इसे पढ़ेंगे। हो सकता है कि ऐसा करने के बाद वे किताब को वापस एक कोने में रख दें, क्योंकि उस समय तक स्थितियां बदल चुकी होंगी। मुझे उम्मीद है कि ऐसा होगा,’ कंग ने कहा।