पंजाब सरकार की ओर से पुलिस में बड़े पैमाने पर बदलाव की तैयारी मंत्रियों के विरोध के चलते फिलहाल लटक गई है। बड़े स्तर पर बदलाव के लिए डीआईजी रेंज को खत्म करके सरकार आईजी जोन में तब्दील करने की कवायद में है। मंत्रिमंडल की बैठक में पीपीएस लॉबी के दबाव में कई मंत्रियों की तरफ से इस संबंध में दर्ज करवाए गए विरोध के चलते मामला लटक गया है। सरकार की कोशिश थी कि विधानसभा के बजट सत्र में इस संबंध में आर्डिनेंस के बाद बिल पेश कर दिया जाए।
सरकार पर पीपीएस लॉबी का दबाव, मंत्रियों ने भी किया विरोध
मंत्रिमंडल की नवंबर में हुई बैठक में डीआइजी रेंज खत्म करने को लेकर सरकार आर्डिनेंस लाई थी जिसे मंजूरी भी दे दी गई थी। तकनीकी तौर पर आर्डिनेंस मंजूर होने के बाद छह महीने के अंदर विधानसभा में उस संबंध में बिल पेश करना होता है। इसी के चलते बीते दिन हुई मंत्रीमंडल की बैठक में बिल को लेकर विचार किया गया था।
प्रदेश से डीआईजी रेंज खत्म करने की कवायद, विधानसभा में बिल लाने की तैयारी कर रही सरकार
सूत्र बताते हैं कि कई मंत्रियों ने इस बात पर विरोध किया कि पहले बैठक में इस आर्डिनेंस को लाया ही नहीं गया था। इससे पहले जब आर्डीनेंस लाने की बात हुई थी तो सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा सहित कुछ मंत्रियों ने इसका विरोध किया था। नतीजतन सरकार ने अब इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। बुधवार को हुई बैठक में दोबारा विरोध के बाद सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो इस बदलाव के पीछे वर्चस्व की लड़ाई को लेकर आइपीएस व पीपीएस लॉबी का सालों से चला आ रहा शीतयुद्ध अहम कारण है।
मंत्रियों के विरोध को देखते हुए सरकार बीच का रास्ता निकलने की तैयारी कर रही है। सरकार की कोशिश है कि आइजी जोन-डीआईजी जोन कर दिया जाए। इससे जरूरत पडऩे पर डीआइजी रैंक के अफसर की भी तैनाती आइजी जोन में की जा सकेगी। हालांकि यह केवल दिल बहलाने की बात होगी, क्योंकि सूबे में मौजूदा समय में आईजी रैंक के 42 अफसरों की तैनाती है। इसलिए अंदरखाते पुलिस विभाग में मामले को लेकर चल रही सियासत के चलते सरकार आइजी जोनों में एडीजीपी स्तर के अधिकारियों की भी तैनाती देकर विवाद को खत्म कर सकती है।
एडीजीपी रैंक के मौजूदा समय में 11 अफसरों की तैनाती पंजाब में हैं। इनमें पराग जैन केन्द्रीय डेपुटेशन पर हैं। सरकार के इस फैसले से एडीजीपी स्तर के अफसरों में रोहित चौधरी, आइपीएस सहोता, संजीव कालरा, बीके उप्पल, बीके बावा, एसएस चौहान, गौरव यादव, हरप्रीत सिंह सिद्धू व कुलदीप सिंह तथा आरपीएस बराड़ में से किन्हीं भी सात अफसरों की तैनाती फील्ड में की जा सकती है। हालांकि बीके उप्पल व हरप्रीत सिद्धू पहले से ही अहम पदों पर तैनात हैं।
पूर्व डीजीपी डा.चंद्रशेखर कहते हैं कि सरकार का यह अच्छा प्रयास साबित हो सकता है। डीआइजी रेंज खत्म होने से डीआइजी दफ्तरों में तैनात स्टाफ फ्री हो जाएगा। पुलिस पर पड़ रहा खर्च कम होगा। एसएसपी व आइजी के बीच आधिकारिक तौर पर सीधा संवाद कायम होगा। पुलिसिंग में यह बदलाव वर्क कल्चर में भी बदलाव लाएगा और विभिन्न केसों को निपटाने में लगने वाले समय के बीच की एक कड़ी खत्म हो जाएगी। इससे समय भी बचेगा।
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यह है मौजूदा स्थिति
आईजी जोन : बठिंडा, जालंधर, बॉर्डर, पटियाला
डीआईजी रेंज : बठिंडा, जालंधर, लुधियाना, रोपड़, फिरोजपुर, पटियाला, बॉर्डर
यह होगा बदलाव
लुधियाना, रोपड़, फिरोजपुर होगा आईजी जोन में शामिल