ब्यूरो रिपोर्ट :28 फ़रवरी 2018
राजगढ़
पिछली सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के हर गांव को सड़क से जोड़ने की घोषणा से डरेणा गांव के ग्रामीणों को सड़क आने की उम्मीद जग गई थी मगर राजनीति के दखल से यह सड़क विवादों के घेरे में आ गई और मुख्य मार्ग से लगभग चार किलोमीटर के बाद बंद हो गई। यदि इस घोषणा ने अमलीजामा पहन लिया होता तो आज चार स्वतंत्रता सेनानियों के उस गांव तक सड़क पहुंच गई होती जहांके दो सगे भाईयों जातीराम एवं बस्तीराम ने, अंग्रेजों की गोलियां खा कर अपंगों का जीवन व्यतीत किया था और उनकी सगी बहन शंकरी देवी नेअपने हाथोंकमरा निर्माण कर क्षेत्र मेंशिक्षा की प्रथम जोत जगाई थी।
यहां के ग्रामीण, सुविधायुक्त जीवन जी रहे होते। जी हां, यह गांव ग्राम पंचायत ‘नेरी-कोटली’ का ‘‘डरेणा’’ है जहां के ग्रामीण, सड़क सुविधा से वंचित पिछड़ा जीवन जीने को बाध्य हैं। हालांकि इस गांव के दो किलोमीटर नीचे और दो किलोमीटर उपर से सड़क निकल चुकी है मगर यही एक गांव बचा हुआ है जो अभी तक सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। आज भी यहां के ग्रामीण खच्चरों अथवा अपनी पीठ पर अपने उत्पाद सड़क तक ढोकर मंडी पहुचाते हैं। इसी प्रकार गांव तक जाने के लिए पीठ पर भारी सामान उठायेदो किमी की खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती है।
लगभग 11 वर्ष पहले इस गांव की ओर सड़क ने बनना आरंभ कर दिया था। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर, खंड विकास विभाग एंव वन विभाग के सहयोग से लाखों रू0 खर्च कर मुख्य मार्ग सेचार किमी सड़क भी बना दी थी मगर तभी राजनीति के चलते यह सड़क अवरोधित हो गई और डरेणा गांव के ग्रामीण वही पिछड़ी जिंदगी जीने को मजबूर हो गए। इसी दौरान उन्होंने अदालत का सहारा लिया और बंद पड़ी सड़क को खुलवा तो दिया परन्तु अभी भी इस सड़क पर राजनतिक अवरोध खड़े होने की संभावना बनी हुई है। इस बारे मे ं स्वतंत्रता सेनानी जातीराम के पोते राजकुमार ने वर्तमान सरकार से अनुरोध किया है कि वे सड़क बनने में खड़ी बाधाओं को दूर करने मेग्रामीणों की मदद करे तथा आजादी के 70 साल बाद भी सड़क सुविधा से महरूम, डरेणा गांव को सड़क से जोड़ने की कृपा करे।