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23 जनवरी से संभालेंगे कामकाज इलेक्शन कमिश्नर ओम प्रकाश रावत को बनाया गया नया CEC,

  • ब्यूरो रिपोर्ट :22 जनवरी 2018

    नई दिल्ली. इलेक्शन कमिश्नर ओम प्रकाश रावत को नया चीफ इलेक्शन कमिश्नर (सीईसी) बनाया गया है। वे 23 जनवरी से कामकाज संभालेंगे। वे रिटायर हो रहे सीईसी एके ज्‍योति की जगह लेंगे। ओम प्रकाश रावत 23 जनवरी को सीईसी का कामकाज संभालेंगे। इसके अलावा पूर्व फाइनेंस सेक्रेटरी अशोक लवासा को इलेक्शन कमिश्नर बनाया गया है। न्यूज एजेंसी ने कानून मंत्रालय की ओर से यह जानकारी दी है।

    रावत अगस्त 2015 में बने थे EC

    – 2 दिसम्बर 1953 को उत्तर प्रदेश के झांसी में जन्मे रावत की इतिहास में गहरी रुचि है।

    – ओम प्रकाश रावत मध्य प्रदेश काडर के 1977 बैच के आईएएस अफसर हैं। उन्हें अगस्त 2015 में इलेक्शन कमिश्नर बनाया गया था।

    मध्य प्रदेश में रहे अहम पदों पर

    रावत नरसिंहपुर और इंदौर के कलेक्टर रहे। उन्होंने मऊ और इंदौर में सांप्रदायिक दंगों को रोकने में अहम रोल निभाया।

    – वे मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के चीफ सेक्रेटरी, महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (ट्राइबल वेलफेयर), नर्मदा वैली डेवलपमेंट अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन और एक्साइज कमिश्नर भी रहे हैं।

    – वे इलेक्शन कमिश्नर बनने से पहले केंद्र में हैवी इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट में सेक्रेटरी रहे। उन्हें डिफेंस मिनिस्ट्री में ज्वाइंट सेक्रेटरी भी बनाया गया था।

    UK से SDP में की MSc

    – रावत ने यूनाइटेड किंगडम से सोशल डेवलपमेंट प्लानिंग (SDP) में एमएससी की है। इसके अलावा उन्होंने फिजिक्स में भी एमएससी की डिग्री हासिल की है।

    PM ने किया था सम्मान

    – ईमानदारी के लिए ख्यात रावत को प्रधानमंत्री की ओर से सर्वश्रेष्ठ लोकसेवक का पुरस्कार भी मिल चुका है।

    – उन्होंने मध्य प्रदेश में आदिवासियों की जमीन के हक से संबंधित कानून को कामयाबी से लागू कराने में अहम किरदार निभाया था। नर्मदा नदी के लिए भी वे काम कर चुके हैं।

    हम तो रेफरी की तरह, राजनीतिक दलों से प्रभावित नहीं होते

    – सीईसी के तौर पर क्या चुनौतियां देखते हैं?

    – वैसे तो मैं अगस्त 2015 से चुनाव आयुक्त हूं, लेकिन सीईसी बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती यही रहेगी कि फ्री, फेयर और क्रेडिबिलिटी से चुनाव जैसे पहले हुए, आगे भी कराऊं।

    आयोग फिर विपक्ष के निशाने पर है?

    – हम राजनीतिक दलों से प्रभावित नहीं होते। हम तो रेफरी की तरह हैं। आयोग के नियम और कानूनों का पालन कराना काम है।

    ईवीएम पर सवाल हो रहे हैं?

    – इस मुद्दे पर एक डिटेल स्टेटस रिपोर्ट ईसीआई की वेबसाइट पर मौजूद है। वैसे जो भी ईवीएम पर सवाल उठाते हैं, उनसे पता तो करें कि जब वे जीते थे, तब क्यों नहीं कुछ कहा। बस इतना पूछिए, पर्याप्त उत्तर मिल जाएग

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