यह आरोप आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण कर्मचारी महासंघ ने लगाए हैं। प्रदेशाध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने कहा कि हिमुडा और एलआईसी में पेंशन को लेकर 29.10 करोड़ का एमओयू साइन हुआ था।
एमओयू के मुताबिक हिमुडा ने एलआईसी को 29.10 करोड़ की राशि देनी थी, लेकिन एलआईसी को 45 करोड़ दिए गए। इसके अलावा हिमुडा ने कर्मचारियों से 12 प्रतिशत सीपीएफ भी काटा, जो पेंशन में जुड़ना था।
एमओयू के मुताबिक समय-समय पर बढ़ने वाले महंगाई भत्ते की अदायगी भी पेंशन के साथ होने का प्रावधान था। हिमुडा के 535 कर्मचारियों को एलआईसी की पेंशन एक अप्रैल 2008 से लागू हुई है, लेकिन पिछले चार सालों से पेंशन की अदायगी नहीं हो रही है।
जिन कर्मचारियों को पेंशन मिल रही है, उन्हें महंगाई भत्ते की अदायगी नहीं हो रही है। इस कारण इसमें घोटाले की आशंका दिखाई दे रही है। महंगाई भत्ता 137 प्रतिशत हो गया है, जबकि अभी तक 90 प्रतिशत के अनुसार अदायगी की जा रही है।
उन्होंने सरकार से मामले की छानबीन निष्पक्ष जांच एजेंसी से करवाने की मांग की है। कर्मचारी महासंघ ने एसडीओ को दिए गए अधिशासी अभियंता के अतिरिक्त कार्यभार को वापस लेने की गुहार भी लगाई। कहा कि एसडीओ को अधिशासी अभियंता को अतिरिक्त काम सौंपा है। इस कारण वित्त अनियमितताओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।