आई 1 न्यूज़ : संदीप कश्यप
एक ओर जहां हम ‘‘ गर्व से कहो हम हिंदु हैं, का उद्घोष करते रहते हैं वहीं दूसरी ओर हम गाय माता को सड़कों पर बाघों का निवाला होने के लिए छोड़ देते हैं। इस दोहरी मानसिकता सेसाफ जाहिर होता है कि हम सिर्फ नाम के हिंदु हैं वर्ना अपने स्वार्थ को देखते हुए हम अपनी मां को इस प्रकार सड़कों पर आवारा घूमने के लिए बाध्य न करते। जी हां यदि आपको इन माताओं की बेबसी एवं कातर दृष्टि देखनी हो तो राजगढ़-हाब्बन- चंदोल अथवा राजगढ़-नेरी पुल की सड़कों पर चले जाईए। कहीं पर इक्का दुक्का और कहीं पर दर्जनों गायों के झुंड सड़क के किनारे किसी खुले स्थान पर खड़े अथवा सोये हुए मिलेंगे। एक अनुमान है कि ये स्थिति इन सड़कों पर चलने वाले उन वाहनों से खड़ी हो गई है जो कहीं से पशु ला कर यहां छोड़ जाते हैं। उन्हें यहां छोड़ने का बाकायदा किराया दिया जाता है। इस जानकारी को देते हुए संदीप ठाकुर ने बताया कि इन आवारा पशुओं की सबसे अधिक संख्या चंदोल क्षेत्र में देखी गई है जहां लगभग हर मोड़ पर एक दो पशु खड़ा दिखाई देता है जबकि तीन बड़े मोड़ों पर 27 पशु जुगाली करते हुए नजर आएंगे। इन आवारा पशुओं से जहां सड़क पर अवाजाही बाधित होती है वहीं रात के समय ये किसी के भी खेत में जा कर खेत के खेत चट कर जाते हैं। कई बार तो रात के समय दुर्घटनाएंभी हो चुकी हैं। कई स्वयं सेवी संस्थाओं ने इन बेजुबान पशुओं को गाडियों की चपेट में आने से बचाने के लिए उनकी सींगों में रात को चमकने वाले रिफ्ल्ेक्टर भी लगा रखे हैं। इसी संदर्भ में ़इन सड़कों के किनारे रहने वाले ग्रामीणों ने तो अब बंदरों की रखवाली छोड़ कर इन पशुओं की रखवाली पर अधिक ध्यान देना आरंभ कर दिया है। इस प्रकार यदि दोनों सड़कों पर विचरण करने वाले पशुओं की गणना की जाए तो कईबार ये संख्या सैंकड़ों में भी हो सकती है। ठाकुर संदीप ने सरकार एवं महामहिम राज्यपाल से अनुरोध किया है कि इन पशुओं के लिए गौशालाओं का प्रबंध किया जाए तथा उनके लिए चारे की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि हमारे वर्तमान राज्यपाल महोदय हिंदु संस्कृति प्रेमी हैं, वे जरूर इस ओर कोई कारगर कदम उठाएंगे और गाय माताओं को ठिठुर ठिठुर कर मरने से बचाएंगे।