हिमाचल में अवैध वन कटानों के मामलों की जांच को लेकर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान जंगलों में अवैध कटान की नए सिरे से जांच होगी। भाजपा सरकार को पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुई जांच और कार्रवाई पर भरोसा नहीं है।
सरकार का मानना है कि पूर्व में हुई जांच में छोटे कर्मचारी, गरीब और गोरखा समुदाय के खिलाफ कार्रवाई हुई जबकि इतना बड़ा अवैध कटान अफसरों और नेताओं की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता है।
लिहाजा, सरकार ने नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं। वन मंत्री ठाकुर गोविंद सिंह ने इसकी पुष्टि की है। मंत्री ने कहा कि हिमाचल में वन माफिया की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इनको खोलने में सरकार को समय लगेगा।
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान जिला चंबा में वन माफिया ने बड़ी मात्रा में अवैध कटान किया। भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए विधानसभा में इसको लेकर वाकआउट भी किया। इसके बाद राजधानी शिमला के शोघी, तारादेवी में भी पेड़ कटान के मामले सामने आए।
मनाली में 400 पेड़ काटे गए लेकिन वन माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। नालागढ़ के अलावा ऊना में भी खैर के पेड़ों से भरा टिपर पकड़ा गया। चौपाल में देवदार के तेल और कोटी में 400 पेड़ों के कटान का मामला भी सुर्खियों में रहा है।
गहरी हैं वन और खनन माफिया की जड़ें
मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि ऐसी भी सूचना है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में वन और खनन माफिया के खिलाफ जब भी कार्रवाई की बात आई, विधायकों और नेताओं ने अफसरों को फोन पर चेतावनी दी कि इलाके में न वन और न ही खनन अधिकारी आने चाहिए। ऐसे में अफसर फील्ड में जाने के बजाय दफ्तरों में ही फाइल निपटाते रहे।
इस मामले को भी देखा जा रहा है।अवैध कटान के पुराने प्रकरणों और सिडार ऑयल प्रकरण की पुलिस और वन विभाग संयुक्त जांच कर रहे हैं। मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि वन माफिया जेल के पीछे होंगे। एक-एक का पर्दाफाश किया जाएगा।
चौपाल वन रेंज में पकड़े गए सिडार वुड ऑयल विदेशों में पहुंच रहा है। विदेशी मार्केट में यह तेल 1000 रुपये तक प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है। इस तेल को दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि अपर शिमला में पकड़े गए तेल के मामले में आरओ और डिप्टी रेंजर के खिलाफ कार्रवाई की गई है।