क़िस्सा पहली जनवरी को शुरू हुआ, जब शाहरुख़ ने अपनी नई फ़िल्म ज़ीरो का फ़र्स्ट लुक और टाइटल ट्विटर पर फ़ैंस के साथ साझा किया। फ़र्स्ट लुक आते ही छा गया और देखते ही देखते इसे 3.2 करोज़ व्यूज़ मिल गए। शाहरुख़ ने फैंस का शुक्रिया अदा करने में कोई देरी नहीं की और ट्विटर पर सबका धन्यवाद किया। मगर, इस शानदार उपलब्धि को आलोचनाओं का ग्रहण तब लगा, जब उन पर साहित्यिक चोरी का सनसनीखेज़ आरोप लगा। ज़ीरो में शाहरुख़ के बौने लुक को जितनी तारीफ़ें मिलीं, उतनी ही आलोचना इस चोरी करने के लिए भी की गयी। किंग ख़ान ने फ़र्स्ट लुक के साथ अपने स्टेटस में कुछ पंक्तियां हिंदी में लिखीं। ये लाइंस थीं- ”टिकटें लिए बैठें हैं लोग मेरी ज़िंदगी की, तमाशा भी पूरा होना चाहिए!”
इन पंक्तियों को पढ़ने वाले वाह-वाह कर उठे, मगर सोशल मीडिया के दौर में चोरी पकड़ने में देर नहीं लगती। इस ट्वीट के जवाब में कुछ फॉलोअर्स ने लिखा कि दरअसल ये पंक्तियां मिथिलेश बारिया नाम के लेखक की हैं, जो ट्विटर पर भी मौजूद हैं। बस फिर क्या था, यूज़र्स शाहरुख़ के पीछे पड़ गए और असली लेखक को क्रेडिट ना देने के लिए उन्हें ट्रोल करने लगे।