Monday, December 23, 2024
to day news in chandigarh
HomeUncategorizedवैज्ञानिकों का दावा, स्मार्टफोन और टेबलेट के ज्यादा प्रयोग से कम होती...

वैज्ञानिकों का दावा, स्मार्टफोन और टेबलेट के ज्यादा प्रयोग से कम होती है बच्चों की याददाश्त

ऑय 1 न्यूज़ 5 जनवरी 2019 (रिंकी कचारी) बच्चों की एक पूरी पीढ़ी स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य इंटरनेट-सक्षम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ बढ़ रही है। इससे कई अभिभावक चिंतित हैं। लेकिन यह वैज्ञानिकों को इस सवाल का जवाब देने का मौका भी दे रहा है: बच्चों के विकासशील दिमाग पर स्क्रीन के समय का क्या प्रभाव पड़ता है? नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं ने हाल ही में किशोर मस्तिष्क के संज्ञानात्मक विकास (एबीसीडी) का अध्ययन कर प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर, उत्तर की एक झलक पेश की है। यह अध्ययन पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में 21 साइटों पर किया गया जिसमें 9 और 10 साल के 11000 बच्‍चे शामिल हुए, जिसका परिणाम प्रस्‍तुत किया जा चुका है।

इन आंकड़ों में दो प्रमुख बातें सामने आई हैं।

1: जिन बच्‍चों ने स्मार्टफोन, टैबलेट और वीडियो गेम का उपयोग करके दिन के सात घंटे से अधिक समय बिताए, उन बच्‍चों के दिमाग का जब एमआरआई स्‍कैन करने पर महत्वपूर्ण अंतर पाया गया।

2: जिन बच्चों ने दिन में दो घंटे से अधिक स्क्रीन समय बताया, उन्हें सोच और भाषा परीक्षणों पर कम अंक मिले।

वैज्ञानिकों का मत क्‍या है
मस्तिष्क के स्कैन से पता चला है कि स्क्रीन पर अधिक समय बिताने वाले बच्चों का कोर्टेक्स पहले से पतला था। कोर्टेक्स मस्तिष्क की यह सबसे बाहरी परत होती है जो दिमाग में विभिन्‍न प्रकार की सूचनाओं को प्रॉसेस करती है।

वैज्ञानिक डाउलिंग कहते हैं कि “यह आमतौर पर एक परिपक्व प्रक्रिया है।” यहां ये भी सवाल उठता है कि, क्या इन मस्तिष्क और सीखने के अंतर के लिए स्क्रीन समय दोष है?

डॉ एलेन सेल्की के मुताबिक, “अभी हम केवल यही निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि दो चीजें एक ही समय में हो रही हैं। लेकिन यह बताना मुश्किल है कि क्या एक दूसरे के कारण हुआ” उदाहरण के लिए, स्क्रीन पर अत्‍यधिक समय बिताना बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन को कम कर सकता है। लेकिन यह भी हो सकता है कि जिन बच्चों को कुछ मानसिक कार्यों में कठिनाई होती है, वे किसी कारण से स्क्रीन के लिए अधिक आकर्षित हो सकते हैं।

कुछ बच्चों के मस्तिष्क स्कैन में देखे गए अंतरों के बारे में भी यही सच है, लेकिन क्या स्‍क्रीन पर समय बिताने की वजह ये परिवर्तन देखने को मिले हैं?

डाउलिंग ने बताया कि स्क्रीन टाइम के प्रभाव के बारे में कुछ सवालों के जवाब अगले कुछ वर्षों में दिए जाएंगे, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव कई वर्षों तक ज्ञात नहीं होंगे। उन्‍होंने यह भी कहा कि “हम न केवल यह देख पाएंगे कि वे कितना समय बिता रहे हैं, वे इसे कैसे प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि यह भी पता चलेगा कि कि उनमें से कुछ परिणाम क्या हैं और क्‍या ये लत है, इन सबका जवाब मिल जाएगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments