ब्यूरो रिपोर्ट :8 जनवरी 2018
लगभग डेढ़करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले शाया के शिरगुल महाराज मंदिर की निर्माण प्रक्रिया आरंभ हो गई है जिसके तहत मंदिर में प्रयोग होने वाली लकड़ी पर नक्काशी का कार्य जारी है। इस कार्य का जायजा लेने के लिए भाषा संस्कृति विभाग के जिला भाषाधिकारी अनिल हारटा विशेष तौर पर नाहन से पधारे। याद रहे इस निर्माण में 37 लाख चार हजार नौ सो का योगदान भाषा विभाग के सौजन्य से प्राप्त हुआ है जिसके चलते विभागीय देख रेख का होना आवश्यक हो जाता है। चल रहे कार्य को देखने के बाद अनिल हारटा ने बताया कि काष्ठशिल्प का कार्य बहुत ही स्तरीय तरीके से प्रगति पर है जिसमेंशिल्पियों द्वारा पहाड़ी एवं पारंपरिक कला के अनुसार लकड़ी पर संबंधित चित्र उकेरे जा रहे हैं। मंदिर निर्माण के मुख्य शिल्पी पंकज धीमान ‘‘हाटकोटी’’ के अनुसार उन्होंने आज तक दर्जन से भी अधिक मंदिरों का निर्माण इसी शैली के तहत पूर्णकिया है। लगभग दो वर्षों के भीतर इस मंदिर का निर्माण भी पूरा हो जाने की संभावना है। भाषा विभाग के तहत मिलने वाले अनुदान के अतिरिक्त खर्च होने वाली राशी को नौतबीन यानि शिरगुल देवता की प्रजा से ऐकत्र की जाएगा। यह जानकारी देते हुए देव कार्य प्रमुख रणवीरसिंह ठाकुर एवं शिजस्वी समिति के अध्यक्ष अमर सिंह ठाकुर ने कहा कि इस आशय के लिए देवा यशवंत सिंह घणिता एवं पटगांवी मोहन लाल पाथा उगाही के लिए क्षेत्र में भ्रमण करने के लिए, देव छड़ी के साथ निकल चुके हैं।
क्या है यह पाथा उगाही: देव प्रथा के अनुसार नौतबीन क्षेत्र के हर घर से एक पाथा यानि लगभग पांच किलो अनाज का योगदान लिया जाता है जो कि आजकल सौ रूपए में बदल दिया गया है। हर घर से यह उगाही करना आवश्यक परंपरा है। इस प्रकार मंदिर को लगभग 5 लाख का योगदान प्राप्त होने की संभावना है। इस उगाही केअलावा चंदे के रूप में भी कई लाख की राशी ऐकत्र हो जाएगी। इस प्रकार लगभग दो सालों में उक्त मंदिर हर प्रकार से पूर्ण हो जाएगा।