ऑय 1 न्यूज़ 4 फरवरी 2019 (रिंकी कचारी) कोलकाता में सीबीआई अफसरों और पुलिस का टकराव देखकर पूरे देश के लोग अचंभित हैं. लेकिन सच तो यह है कि यह कोई नई बात नहीं है. कई बार सीबीआई को ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ता है. एक बार ऐसे ही पटना में सीबीआई का बिहार के पूर्व सीएम लालू से जबर्दस्त टकराव हुआ था.
रविवार की रात कोलकाता पुलिस ने सीबीआई को अपनी ताकत दिखाई. शारदा चिट फंड घोटाले में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करने के लिए गई सीबीआई टीम को हिरासत में ले लिया गया. सबको ऐसा लगता है कि कोलकाता पुलिस बनाम सीबीआई या ममता बनर्जी बनाम केंद्र का यह टकराव ऐतिहासिक स्तर का है, लेकिन लालू के बारे में ऐसे ही एक मामले का सच जानकर आप हैरान हो जाएंगे.
नब्बे के दशक में इससे भी ज्यादा हैरान करने वाला वाकया हुआ था, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर यू.एन. बिस्वास चारा घोटाले की जांच कर रहे थे. साल 1997 की बात है, बिस्वास राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करना चाहते थे. तब राज्य में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं. बिहार के पूर्व सीएम लालू सीबीआई से जबर्दस्त टकराव मोल ले रहे थे. जब लालू के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट को तामील करने में कोई मदद नहीं मिली तो आप सोच नहीं सकते कि बिस्वास ने क्या किया? उन्होंने सीबीआई के पटना स्थित एसपी से कहा कि वह लालू प्रसाद को गिरफ्तार करने के लिए सेना की मदद लें.
सीबीआई चारा घोटाले के सिलसिले में लालू को गिरफ्तार करना चाहती थी और उसने सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं. लेकिन राज्य सरकार की मशीनरी इसमें अड़चन डाल रही थी.
राज्य सरकार के बाधक रवैए को देखते हुए सीबीआई ने बिहार के चीफ सेक्रेटरी बी.पी. वर्मा से संपर्क करने की कोशिश की कि वह लालू यादव को गिरफ्तार कराएं. लेकिन सीबीआई के अधिकारियों को बताया गया कि चीफ सेक्रेटरी ‘उपलब्ध नहीं हैं.’ परेशान सीबीआई अफसरों ने इसके बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) से संपर्क किया. डीजीपी ने कहा, ‘उन्हें कुछ और समय चाहिए.’ सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर यू.एन. बिस्वास ने तब पटना के अपने एसपी से कहा कि वह लालू को गिरफ्तार करने सेना की मदद लें.
इस मसले पर संसद में भी जमकर हंगामा हुआ था. सदन के रिकॉर्ड के मुताबिक तत्कालीन गृह मंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने सदन को बताया था कि पटना के सीबीआई एसपी ने दानापुर कैंट के इंचार्ज अफसर को लेटर लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा था, ‘पटना हाईकोर्ट के मौखिक आदेश के मुताबिक आपसे यह अनुरोध है कि तत्काल कम से कम एक कंपनी सशस्त्र टुकड़ी सीबीआई पार्टी की मदद करने के लिए भेजें जो पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गैर जमानती वारंट को तामील करना चाहती है.’
सेना ने तत्काल मदद से किया था इंकार
गुप्ता ने सदन को बताया था कि दानापुर के इंचार्ज सेना अफसर ने इस ‘अनुरोध’ के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताया था. अफसर ने इस लेटर के जवाब में लिखा था, ‘सेना सिर्फ अधिकृत सिविल अथॉरिटीज के अनुरोध पर ही नागरिक प्रशासन में किसी तरह की मदद करता है. इस बारे में सेना मुख्यालय से मार्गदर्शन का इंतजार है.’ तो एक तरह से सेना ने मदद से इंकार कर दिया, जिसके बाद सीबीआई ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने असहयोग के लिए बिहार के डीजीपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
इस पार्टी में शामिल हो गए सीबीआई अफसर
तब लालू को गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाने वाले अफसर यू.एन. बिस्वास की ईमानदारी के लिए काफी तारीफ भी हुई थी. लेकिन इस कहानी में एक और ट्विस्ट है. बाद में यह अफसर राजनीति में चले गए और आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि वह किस पार्टी में गए- तृणमूल कांग्रेस. जी हां, ममता बनर्जी ने उन्हें अपनी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का मंत्री बनाया.