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Friday, November 22, 2024
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मॉकड्रिल में नहीं दिखा तालमेल

भूकंप से निपटने को बड़ा अभ्यास

 हिमाचल में भूकंप से होने वाले नुकसान पर काबू पाने के लिए गुरुवार को अब  तक का सबसे बड़ा मॉक ड्रिल किया गया। मगर असल झटके अस्पतालों में मरीजों को लगे, जहां व्यवस्था अभ्यास की भेंट चढ़ गई। डाक्टर व स्टाफ मॉक ड्रिल को सफल बनाने में जुटे रहे, जबकि मरीजों के परिजन स्ट्रेचर व व्हील चेयर ढूंढते रहे। साफ तौर पर ऐसी मॉक ड्रिल में समन्वय की कमी दिखी। दिलचस्प बात यह रही कि प्रदेश के सचिवालय जहां सरकार कामकाज चलाती है, वहां भूकंप से अलर्ट का सायरन सुबह 11 बजे बजा और रेस्क्यू टीमें लेटलतीफी से 11.20 बजे पहुंची। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8 बताई गई थी। यानी ऐसे झटके, जिससे शिमला तो दूर प्रदेश के अन्य हिस्से भी शायद ही रिकवर कर पाएं। उपायुक्त कार्यालय में सब कुछ ठीक चलता रहा, मगर यहां भूकंप के झटके 10 बजे से पहले आए और यहां रेस्क्यू आपरेशन 10 बजे तक पूरा कर लिया गया था।  प्रदेश के 12 जिलों में भूकंप के लिए यह एक्सरसाइज की गई थी। बाकायदा लोगों की जागरूकता के लिए इस मॉकड्रिल से पहले 80 हजार पुस्तिकाएं वितरित की गई। सेना, अर्द्धसैनिक बल, आईटीबीपी, एनडीआरएफ दलों ने इसमें भाग लिया। इसके अलावा जिला स्तर पर पुलिस, स्वास्थ्य, अग्निशमन, नागरिक सुरक्षा, गृहरक्षक इस काल्पनिक अभ्यास में शामिल हुए।  मुख्य सचिव पहली फरवरी को ही सभी विभागों के 135 अधिकारियों व अन्य टीमों से समन्वय सम्मेलन की अध्यक्षता कर चुके थे। इसके बाद सात फरवरी को उनकी अध्यक्षता में टेबल टॉप अभ्यास भी किया गया। बहरहाल, यह प्रयास आपदा प्रबंधन के नजरिए से बेहतर कहा जा सकता है, क्योंकि पहली बार 12 जिले शामिल किए गए। मगर यदि सरकारी महकमों में समन्वय की यही स्थिति रही तो कहना न होगा कि इस तीव्रता के भूकंप के मारक झटकों से शायद ही कोई बच पाए।

 हिमाचल देश का पहला राज्य 

मॉकड्रिल के बाद सचिवालय में मीडिया से बातचीत में प्रधान सचिव राजस्व ओंकार शर्मा ने कहा कि हिमाचल देशभर का ऐसा इकलौता राज्य है, जिसने आपदा  अति संवेदनशीलता जौखिम आंकलन  एटलस तैयार किया है।  जिला स्तर पर आपदा आपरेशन केंद्र  24 घंटे क्रियाशील है। वर्ष 2012 में आपदा प्रबंधन योजना तैयार की गई। इसे 2017 में फिर से संशोधित किया गया। पहली बार 38 विभागीय आपदा प्रबंधन योजना तैयार की गई। इससे पहले 2012, 2014 और 2016 में भी गृह मंत्रालय के सहयोग से ऐसी मॉकड्रिल की जाती रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद व प्रशिक्षण व गवर्नमेंट ऑफ टीचर एसोसिएशन को स्कूल सुरक्षा पहल में भी सहयोग दिया।

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