ऑय 1 न्यूज़ 29 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) Meghalaya East Jaintia Hills district के एक कोयला खदान में बाढ़ में 13 दिसंबर से फंसे 15 खनिकों को बचाने के अभियान में शनिवार को भारतीय नौसेना भी शामिल होगी. मेघालय के कोयला खदान में बाढ़ में 13 दिसंबर से फंसे 15 खनिकों को बचाने के लिए आज बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. अभियान में शनिवार को भारतीय नौसेना भी शामिल है. नौसेना की 15 सदस्यीय गोताखोर टीम शनिवार को घटनास्थल पर पहुंच रही है. दूसरी ओर केंद्र सरकार ने भी इस मामले में राज्य को हरसंभव सहयोग देने का वादा किया है. इस बीच रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम को खदान से 3 हेलमेट बरामद हुए हैं.
13 दिसंबर की सुबह पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के इस अवैध कोयला खदान के अंदर उस समय 15 मजदूर फंस गए जब वहां अचानक पानी भर गया. लगातार जलभराव के कारण बेहद तंग सुरंगों के जरिए खदान के अंदर फंसे मजदूरों की मदद के लिए बचाव दल उन तक पहुंच नहीं पा रहा. खदान से पानी निकालने का प्रयास लगातार जारी है, लेकिन हाई पावर पंप नहीं होने के कारण रेस्क्यू करने में मुश्किल आ रही है.
दूसरी ओर, भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने ट्वीट में बताया कि आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम से 15 सदस्यीय गोताखोर टीम शनिवार की सुबह पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले के सुदूरवर्ती लुम्थारी गांव पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि यह टीम विशेष रूप से डाइविंग उपकरण ले जा रही है, जिसमें पानी के भीतर खोज करने में रिमोट संचालित वाहन शामिल हैं.
वहीं, पंप निर्माता कंपनी किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड और कोल इंडिया ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से मेघालय के उस सुदूरवर्ती कोयला खदान के लिए 18 हाई पावर पंप रवाना कर दिया, जहां 15 खनिक फंसे हुए हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने भुवनेश्वर से विमान के जरिये 10 पंप पहुंचाए. इस बीच भुवनेश्वर से मिली एक रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा दमकल सेवा की 21 सदस्यीय टीम उपकरणों के साथ शुक्रवार को शिलांग के लिए रवाना हो गई. उपकरणों में हाई पावर पंप, हाईटेक उपकरण और तलाशी एवं बचाव अभियान में स्थानीय प्रशासन के लिए मददगार कई गैजेट शामिल हैं. मुख्यमंत्री कोनराड कोनराड संगमा ने कोयला खदान मुद्दे पर राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री संगमा ने कहा कि पूरी नदी ही 200-300 फीट नीचे खदान में समा गई. यह खदान मुख्य सड़क से 40-50 किलोमीटर दूर है. उनकी मदद के लिए हमें 30 हाई पावर पंप की आवश्यकता है. गोताखोरों ने कई बार सुरंग तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे.
इससे पहले साल 2012 और 2013 में भी ऐसे ही खदानों में पानी भर जाने से कई खनिकों की मौत हो गई थी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस तरह की खदानों को अवैज्ञानिक और असुरक्षित मानते हुए साल 2014 में मेघालय में कोयला खनन पर रोक लगा दिया था. बावजूद इसके वहां पर अवैध खनन अभी भी जारी है.