आई 1 न्यूज़ 4 जुलाई 2018 (अमित सेठी ) पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज नशा तस्करी करते हुए पहली बार पकड़े जाने वाले दोषियों के लिए सज़ा -ऐ -मौत निर्धारित करने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन करने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को ज़ोरदार सिफ़ारिश की है इस मुद्दे पर पंजाब मंत्री मंडल की तरफ से लिए फ़ैसले को आगे चलाते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे अर्ध सरकारी पत्र में नशा विरोधी कानून एन.डी.पी.एस. एक्ट में संशोधन की प्रक्रिया आरंभ करने के लिए तत्काल कदम उठाने की माँग की है ताकि नशों के अपराधियों को उदाहरणीय सज़ा दी जा सके । मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में नशे की रोकथाम के लिए मौजूदा कानून को पूरी तरह अमल में लाने और नशे से ग्रस्त लोगों को इस बीमारी से मुक्त करवाने और उनके पुर्नवास के लिए राज्य सरकार की तरफ से पहले ही उठाए गए विभिन्न कदमों का जि़क्र करते हुए कहा, ‘‘पिछले कुछ सालों के दौरान समस्या की गंभीरता को अनदेखा किया गया है और अब उनकी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों के निष्कर्ष चाहे सामने आने लगे हैं परन्तु इसको अभी और मज़बूत किये जाने की ज़रूरत है। इस दिशा में नशे की रोकथाम और इस पर काबू पाने के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाना चाहिए जिससे अपराधियों को सख़्त से सख़्त सज़ा दी जा सके । मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कहने की ज़रूरत नहीं कि हमारी सरकार ने बीते साल नशे के विरुद्ध कार्य योजना तैयार करके इसको सख़्ती से लागू किया जिसके परिणामस्वरूप 18977 नशा तस्कर गिरफ़्तार किये गये और दो लाख से अधिक पीडि़तों का ईलाज करवाया गया। इस संबंधी और जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि राज्य की विभिन्न जेलों में एन.डी.पी.एस. एक्ट अधीन 3977 व्यक्ति सज़ा भुगत रहे हैं जबकि इसी एक्ट के अधीन 5610 अदालती कार्यवाही अधीन हैं। उन्होंने अपने पत्र में बताया कि राज्य सरकार ने डी.ए.पी.ओ. के नाम के अतंर्गत व्यापक स्तर पर लोक जागरूकता मुहिम आरंभ की है जिसका उद्देश्य राज्य में नशे की बीमारी से निपटने के लिए आम लोगों की हिस्सेदारी को यकीनी बनाना है । इस पत्र में मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि मौजूदा एन.डी.पी.एस. एक्ट -1985 के अंतर्गत विभिन्न जुर्मों के लिए मौत की सज़ा निर्धारित तो है परन्तु यह सज़ा दूसरी बार अपराध किये जाने पर लागू होती है। उन्होंने दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि इसका अर्थ तो यह हुआ कि कोई व्यक्ति ऐसी बुरी गतिविधियों को अंजाम दे और कम से -कम एक बार बचकर निकल जाये जो नौजवानों और समाज के लिए बहुत घातक है । कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार यह महसूस करती है कि ऐसा नहीं होने देना चाहिए और यहाँ तक कि दोषियों को उन जुर्मों में पहली बार अपराध करने पर ही सज़ा -ऐ -मौत दी जानी चाहिए जिन अपराधों का एन.डी.पी.एस. एक्ट -1985 की धारा 31 -ए में विस्तृत उल्लेख किया गया है । मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा, ‘‘हम विस्तृत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं और महसूस करते हैं कि एक्ट में मौत की सज़ा का उपबंध कर देने से न सिफऱ् पंजाब बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में सक्रिय नशा तस्करों और माफीओं का ख़ात्मा होगा मुख्यमंत्री ने राजनाथ सिंह को पंजाब में नशे की समस्या की गंभीरता से अवगत करवाते हुए बताया कि नशे के कारोबार और तस्करी से राज्य के मानवीय और आर्थिक साधनों पर गहरा प्रभाव हुआ है जो राज्य के सामाजिक -आर्थिक विकास में रुकावट बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि नशे की बीमारी न सिफऱ् पंजाब बल्कि पड़ोसी राज्यों की नौजवान पीढ़ी पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रही है। मुख्य मंत्री ने कहा कि उन की सरकार नशों की बीमारी को जड़ों खोद देने के लिए पूरी तरह दृढ़ है । मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री को एन.डी.पी.एस. एक्ट में अपेक्षित संशोधन करने संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव पर गौर करने के लिए गृह मंत्रालय के सम्बन्धित अधिकारियों को ज़रुरी निर्देश देने की अपील की है जिससे नौजवानों और समाज को नशे की मनहूस बीमारी से बचाया जा सके ।
मुख्यमंत्री द्वारा पहली बार नशे की तस्करी करते हुए पकड़े जाने वाले दोषियों के लिए सजा-ऐ-मौत तय करने के लिए राजनाथ सिंह को पत्र
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