मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हेलीकॉप्टर से नवांशहर और जालंधर में सतलुज दरिया किनारे अवैध खनन पर ‘हवाई हमला’ किया तो हड़कंप मच गया। आंखों से अवैध खनन होते देखा तो उन्होंने तुरंत इसकी तस्वीरें जारी करवाईं। यही नहीं उन्होंने दोपहर 12:46 पर ट्वीट किया और तत्काल एसएसपी और डीसी को सख्त कार्रवाई के आदेश दिए।
इससे अधिकारियों में हड़कंप मच गया और आनन फानन में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 57 वाहन जब्त कर लिए। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को हेलीकॉप्टर से करतारपुर जा रहे थे। नवांशहर के राहों और जालंधर के फिल्लौर क्षेत्र में सीएम ने दरिया किनारे मशीनों से रेत की खुदाई होती देखी।
उन्होंने पायलट से इस क्षेत्र के ऊपर चक्कर लगाने और हेलीकॉप्टर को थोड़ा नीचे ले जाने को कहा ताकि नजदीक से देखा जा सके। पास जाने में उन्हें यह समझते देर नहीं लगी कि यहां अवैध खनन हो रहा है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए।
सीएम के आदेशों के बाद नवांशहर के मलिकपुर गांव से 21 पोकलेन (मिट्टी निकालने वाली मशीन), 30 टिप्पर (ट्रक) और पांच जेसीबी मशीनें और एक ट्रैक्टर को जब्त का लिया गया।
अवैध खनन के खिलाफ रणनीति तय करने के निर्देश
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नरों और जिला पुलिस मुखियों को तुरंत अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदारी तय करने के भी आदेश दिए। उन्होंने पुलिस महानिदेशक को खनन विभाग और जिला प्रशासनों के साथ तालमेल बनाकर इस संबंध में व्यापक रणनीति तैयार करने के भी निर्देश दिए।
माफिया को न डीजीपी की परवाह और न ही अफसरशाही की
कैप्टन के हवाई दौरे के दौरान सतलुज दरिया का खनन दिखने पर हुई कार्रवाई से सूबे में खनन माफिया की नींद उड़ गई है। उन्होंने तेजी से अपना बोरिया बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है। अफसरशाही भी कैप्टन के तेवर से घबरा गई है और उन्होंने तत्काल मातहत अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं कि अवैध खनन का कारोबार बंद करवा दिया जाए। पंजाब में माफिया इस कदर हावी है कि उनको न तो डीजीपी की परवाह है और न ही सूबे की अफसरशाही की।
आखिरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह को खुद डीजीपी सुरेश अरोड़ा का काम करना पड़ा और खनन माफिया की तस्वीर सामने लानी पड़ी। अवैध माइनिंग करने वालों पर सख्ती के आदेश चंद दिन पहले ही कैप्टन ने डीजीपी और तमाम पुलिस अधिकारियों की बैठक में दिए थे, लेकिन पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से चोरी का धंधा रुक नहीं रहा था। अवैध खनन से कैप्टन की कार्यशैली भी अब सवालों के घेरे में आ गई है। आखिर उनके लाख दावों के बावजूद सूबे में अवैध कारोबार कैसे प्रफुल्लित हो रहा है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत का नाम खनन में ऐसा उछला कि उनको मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और सरकार की खासी किरकिरी हो चुकी है। सूत्रों से पता चला है कि मंगलवार की घटना से कैप्टन काफी खफा हुए हैं, क्योंकि डीजीपी के साथ बैठक में उनके आदेशों को दरकिनार कर अधिकारियों ने माफिया का साथ दिया है। रेत खनन को लेकर शाहकोट में भी कांग्रेस का हाल बेहाल हो चुका है, यहां पर कुछ समय के बाद उपचुनाव होने वाले हैं। कैप्टन के करीबी नेताओं का कहना है कि अगर खनन पर नकेल न कसी गई तो इसमें अधिकारियों पर कार्रवाई तय है।
ब्यास व रावी के आसपास खनन का धंधा तेजी से बढ़ रहा
दरअसल, अकाली-भाजपा सरकार की पंजाब में छुट्टी अवैध खनन को लेकर हुई है। कैप्टन सरकार ने खनन को लेकर ई-टैंडरिंग करके 1026 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में एकत्रित किए। वहीं बादल सरकार के कार्यकाल में सरकार को केवल 40 करोड़ रुपये का सालाना राजस्व मिलता था। इस तरह से सिर्फ रेत के खनन से ही कैप्टन सरकार को एक साल में एक हजार करोड़ का मुनाफा हुआ है, लेकिन सूबे में माफिया ने अपना कारोबार समांतर जारी रखा।
यही वजह थी कि सूबे में एक मंत्री को बैठक में गुंडा टैक्स और अवैध खनन का मामला उठाना पड़ा। इसके अलावा सूबे भर से डीजीपी इंटेलिजेंस ने जो रिपोर्ट मंगवाई वह चौंकाने वाली थी। सूबे में ब्यास व रावी के आसपास खनन का धंधा तेजी से बढ़ रहा था। कैप्टन सरकार की किरकिरी शुरू हो चुकी थी। ऐसे में कैप्टन को तमाम पुलिस व अधिकारियों को भरी मीटिंग में आदेश देने पड़े और साथ ही कह दिया कि अगर खनन हुआ तो इलाके का एसएसपी जिम्मेदार।
खनन का हालात यह है कि मोहाली में सिर्फ दो ही खड्ड हैं। उनसे रेत बजरी और मिट्टी निकाली जा सकती है। सब डिविजन डेराबस्सी में 5 खड्ड हैं। इनमें से मिट्टी रेत बजरी निकाली जा सकती है, लेकिन सरकार व प्रशासन की मिलीभगत से यहां नाजायज माइनिंग हो रही है। इससे पंजाब सरकार के खजाने को बहुत नुकसान हो रहा है। यह मामला आप विधायक कंवर संधू भी जोर शोर से उठा चुके हैं, लेकिन फिर भी नकेल नहीं लगी।
‘फिल्लौर और शाहकोट इलाके में भी हो रहा खनन’
सफेद रेत की कालाबाजारी को अंजाम देने वाले रेत माफिया की ओर से सतलुज, ब्यास के आसपास संबंधित कई स्थानों से अवैध रेत निकाल कर सरकार को प्रतिदिन लाखों की चपत लगाई जा रही है। दरिया ब्यास पर लगाए गए अडवांस धुस्सी बांध के पास इलाके में धड़ल्ले से मशीनों से रेत का खनन हो रहा है। खेतों में 20 से 30 फुट गहरे गड्ढे लगाकर रेत निकालने के काम को अंजाम दे रहे लोगों से धुस्सी बांध पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। वहीं फिल्लौर और शाहकोट इलाके में जबरदस्त खनन हो रहा है।