Sunday, December 22, 2024
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महिला ने शुरू की अगस्त्यारकूदम पर्वत पर चढ़ाई, सबरीमाला के तर्ज पर टूटेगी परंपरा?

केरल के सबरीमाला के भगवान अयप्पा स्वामी के मंदिर में सालों महिलाओं के प्रवेश न करने की परंपरा टूटने के बाद अब दूसरे धार्मिक स्थल अगस्त्यार्कूदम चोटी पर भी महिलाओं के प्रवेश की परंपरा टूटने वाली है। लैंगिक भेदभाव तोड़ने के लिए 40 साल की धन्या सानाल सोमवार को तिरुवनंतपुरम से 40 किमी दूर अगस्त्यारकूदम पर्वत की चढ़ाई शुरू की है। ऐसा करने वाली वह पहली महिला बन गईं है।

रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता के धन्या 100 पर्वतारोहियों में पहली महिला हैं जो 1,868 मीटर ऊंची चोटी की चढ़ाई शुरू की है। यह चोटी अपनी सुंदरता और जैव विविधता के लिए जानी जाती है। धन्या ने पर्वतारोहण से पहले कहा था कि यह यात्रा जंगल को और अधिक समझने और अन्य लोगों के साथ इसका अनुभव साझा करने के लिए है। सोमवार रात को अथिरुमला में कैंपिंग करने के बाद मंगलवार को चढ़ाई जारी रहेगी। वन विभाग की एक अधिकारी भी टीम के साथ चल रही हैं।

कौन है धन्या सानल?

के. धन्या सानल 2012 बैच की भारतीय सूचना सेवा की अधिकारी हैं रक्षा मंत्रालय में प्रवक्ता हैं। वह सितंबर 2017 से तिरुवनंतपुरम (केरल) में पदस्थ हैं। इसके पहले वह सूचना एवं प्रकाशन मंत्रालय के प्रकाशन विभाग में उप निदेशक रह चुकी हैं। उन्होंने 6 जनवरी को इस यात्रा के लिए आवेदन किया था।

स्थानीय कर रहे विरोध

सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिलाओं के कुछ संगठनों ने इस पर्वत पर चढ़ने के लिए केरल हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जब पुरुष इस पर्वत पर जा सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं।

पर्वत क्षेत्र में कानी जनजाति के लोग रहते हैं और अगस्त मुनि को अपना आराध्य मानते हैं। अगस्त्यार्कूदम क्षेत्र कन्निकर ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहनन त्रिवेणी ने बताया कि हमनें इस दल में महिला की मौजूदगी का विरोध किया है और हम हाईकोर्ट के एकलपीठ के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। जनजाति की महिलाएं भी चोटी पर नहीं जाती हैं। हम अगस्त मुनि को पूजते हैं और वह आज भी वहां है। सबरीमाला के भगवान् अयप्पा की तरह अगस्त मुनि भी ब्रह्मचारी हैं और वहां जाने वाली महिला दुर्भाग्य का शिकार होगी। मान्यता है कि 1,868 मीटर ऊंचे अगस्त्यारकूदम पर्वत पर ब्रह्मचारी अगस्त्य ऋषि की समाधि है। ऐसे में यहां महिलाओं के आने पर हमेशा से ही रोक थी।

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