शिमला, राज्य ब्यूरो। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत हिमाचल प्रदेश चंदन के पौधे लगाकर देश के अन्य राज्यों को आमदनी बढ़ाने की नई मिसाल पेश करने जा रहा है। इस चंदन की महक पूरे देश में फैलेगी। देश में पहली बार चंदन की खेती मनरेगा के तहत होगी। देश में चंदन की बढ़ती खपत के कारण इसे चीन व अमेरिका से आयात करना पड़ता है। चंदन की खेती गांव के मनरेगा मजदूरों को रोजगार प्रदान करने के साथ हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को भी बढ़ाएगी।
प्रदेश ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया है जिसे केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। भारतीय चंदन में खुशबू व तेल की मात्रा बाकी देशों के चंदन से एक से छह प्रतिशत तक ज्यादा होती है। इस कारण देश के चंदन की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक है। प्रदेश में मनरेगा के तहत चंदन की खेती के लिए सरकारी बंजर जमीनों का चयन किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीणों को अपनी जमीनों पर भी चंदन की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए सरकारी नर्सरियों में चंदन के पौधों को तैयार किया जा रहा है। चंदन की खुले बाजार में बहुत मांग है। इसी मांग को देखते हुए प्रदेश में चंदन की खेती को बढ़ावा देने की योजना है।
हिमाचल प्रदेश में अधिकतर जमीन पथरीली है या फिर उसमें सिंचाई का कोई साधन नहीं है। जंगली जानवर भी फसलों को तबाह कर रहे हैं। ऐसे में चंदन की खेती आमदनी का बेहतर स्रोत है।
चंदन की खेती के लिए उपयुक्त जिले
हिमाचल में कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर, मंडी, शिमला, सोलन, सिरमौर व चंबा जिले चंदन की खेती के लिए उपयुक्त पाए गए हैं। कांगड़ा जिला के ज्वालामुखी के अलावा बिलासपुर में चंदन के काफी पेड़ हैं।जड़ से लेकर पत्ते तक बिकते हैंचंदन के पेड़ से निकाला गया तेल बहुत महंगा बिकता है जो सेंट व कॉस्मेटिक के काम आता है।
चंदन की बारीक लकड़ी भी महंगे दाम पर बिकती है जो धूप, हवन सामग्री या अन्य उत्पाद बनाने के काम आती है। चंदन के पेड़ जड़ से लेकर पत्ते तक बिक जाते हैं, जो किसानों की आमदनी का बेहतर जरिया हो सकते हैं।नर्सरियों में तैयार हो रहे चंदन के पौधेप्रदेश में मनरेगा के तहत चंदन की खेती करने के लिए व्यवस्था की जा रही है। नर्सरियों में चंदन के पौधे तैयार किए जा रहे हैं।