आई 1 न्यूज़ 23 नवम्बर 2018 ( अमित सेठी ) एजी ऑफिस और लीगल रीइंबर्स के मना करने पर भी सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील करना हरियाणा वन विभाग को भारी पड़ गया। हाईकोर्ट ने कहा कि एक ही आदेश से दो याचिकाओं का निपटारा किया गया और एक याचिका में आदेश लागू कर दिए और दूसरे को तीन साल बाद चुनौती देने पहुंच गए। कोर्ट ने कहा कि कानून के साथ खेलने की प्रवृति रखने वाले अधिकारियों को सबक सिखाना जरूरी है।
इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने वन विभाग पर 50 हजार का जुर्माना ठोक दिया और सरकार से कहा कि यह अपील दाखिल करने वाले अधिकारियों की जेब से वसूला जाए। 1996 की पॉलिसी के तहत रेगुलर न किए गए माली भागीरथ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याची ने कहा था कि 1996 की पॉलिसी के तहत उसे रेगुलर किया जाना था लेकिन ऐसा न करके उसकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय ले लिया गया। सिंगल बेंच ने ऐसी ही दो याचिकाओं का निपटारा करते हुए दोनों की सेवाओं को नियमित करने का आदेश जारी किया था। हरियाणा वन विभाग ने एक मामले में आदेश का पालन कर सेवाएं नियमित कर दी जबकि दूसरे मामले में सिंगल बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच में चुनौती देने का फैसला लिया। इसके लिए एजी ऑफिस और लीगल रिमेंबरेंस ने याचिका दाखिल न करने की सलाह दी थी बावजूद इसके याचिका दाखिल की गई। हाईकोर्ट की फटकार के बाद वन विभिाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एसएन रॉय तथा प्रिंसीपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट अनिल हुडा कोर्ट में पेश हुए।
हाईकोर्ट ने पूछा कि आखिर क्यों न याचिका भारी जुर्माने के साथ खारिज की जाए। इस पर एसएन रॉय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देना शुरू किया। हाईकोर्ट ने कहा कि यहां आपको कानून सीखाने के लिए नहीं बुलाया गया है बल्कि जवाब के लिए बुलाया गया है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर हाईकोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना लगाते हुए इसे दोषी अधिकारियों से वसूलने के आदेश दिए हैं।