हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र का पहला ही दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। जयराम सरकार के प्रथम बजट सत्र के पहले दिन ही विपक्षी दल कांग्रेस ने जमकर हंगामा कर वाकआउट किया।
कांग्रेस ने शोक उद्गार प्रस्ताव पर चर्चा के बाद नियम 67 के तहत दिए स्थगन प्रस्ताव को मंजूर कर सारा काम रोककर केवल धारा 118 के सरलीकरण पर चर्चा मांगी।
विपक्षी पार्टी ने आरोप जड़ा कि इस धारा में बदलाव कर हिमाचलवासियों की जमीनें बाहर के लोगों को बेचने का रास्ता सरल बनाया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल ने तत्काल चर्चा करवा पाने से इंकार किया तो इस पर उखडे़ कांग्रेस के विधायकों ने जमकर हंगामा किया।
स्पीकर के बार-बार रोकने के बावजूद विपक्ष के सदस्य नारेबाजी और शोरशराबा करते रहे। बाद में जयराम सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विपक्षी सदस्य सदन से बाहर चले गए।
इतने करोड़ का अनुपूरक बजट रखा
विपक्ष के वॉकआउट के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विपक्ष के आरोपों पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने साफ किया कि एक्ट में संशोधन का सरकार ने कभी जिक्र तक नहीं किया।
विपक्ष की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए 3327.47 करोड़ का अनुपूरक बजट रखा। मंगलवार को बजट सत्र के पहले दिन की कार्यवाही ठीक 11 बजे राष्ट्रगान से शुरू हुई। 11 से लेकर 12 बजे के बीच दो पूर्व विधायकों के देहांत पर शोक प्रस्ताव पर चर्चा होती रही।
पूर्व विधायक रामानंद ठाकुर और कैप्टन आत्माराम के देहांत पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेेश अग्निहोत्री समेत कई सदस्यों ने अपने विचार रखे और मौन भी रखा गया। ठीक 12 बजे शोक उद्गार प्रस्ताव पर चर्चा खत्म हुई।
कांग्रेस विधायक दल के नेता ने उठाया ये मामला
स्पीकर ने आगामी कार्यवाही शुरू करनी चाही तो कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि उनके अलावा दो अन्य विधायकों रामलाल ठाकुर और जगत सिंह नेगी ने मंगलवार सुबह ही अध्यक्ष को नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
इस पर गौर करते हुए सारा कामकाज रोका जाए और धारा 118 के तहत सरकार की ओर से किए जा रहे बदलाव पर चर्चा की जाए। अग्निहोत्री ने पूछा कि क्या धारा 118 को हटवाने का प्रावधान भाजपा के घोषणापत्र मेें भी था।
उन्होंने इसके लिए प्रदेश की अफसरशाही को भी जिम्मेवार ठहराया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसके बारे में कांग्रेस विधायकों का नोटिस मिला है। इस पर सरकार को जवाब भेज दिया गया है।
जवाब आने के बाद ही स्थगन प्रस्ताव के इस नोटिस पर विचार किया जाएगा। यह हंगामा करीब सवा 12 बजे तक चला रहा। इसके बाद कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
धारा 118 में बदलाव जनता से खिलवाड़ : अग्निहोत्री
अग्निहोत्री ने कहा कि धारा 118 को हटाने का सरकार का प्रयास सही नहीं है। यह स्थिति खुद सीएम जयराम ठाकुर के बार-बार बयान आने से पैदा हुई है। यह प्रदेशवासियों की भावना से खिलवाड़ है।
हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार ने यह कानून इसलिए बनाया था कि बाहर से पूंजीपति आकर हिमाचल में जमीन की खरीद न करें। माकपा विधायक राकेश सिंघा और निर्दलीय विधायक सदन के भीतर ही मौजूद रहे।
सदन की सारी कार्यवाही बगैर विपक्ष के ही चली रही। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बाद में सदन में धारा 118 पर लगाए जा रहे आरोपों पर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने विपक्ष के हंगामे को तर्कसंगत नहीं माना। महज पौने एक बजे ही सदन की कार्यवाही बुधवार के लिए स्थगित कर दी गई।
कांग्रेस ने किया धारा 118 के नियमों में संशोधन : भारद्वाज
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुुए 2 से 3 बार धारा 118 के नियमों में संशोधन किया है। जनता ने विश्वास के साथ विधानसभा भेजा है, लेकिन विपक्ष नारेबाजी और वाकआउट कर लोगों के समय को बर्बाद कर रहा है।
लोकसभा चुनाव में जनता देगी जवाब
जयराम ठाकुर ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि शोर-शराबे से कुछ होने वाला नहीं है। जनता सब जनती है। हिमाचल में लोकसभा चुनाव आने वाले हैं। जनता जल्द ही कांग्रेस पार्टी को इसका जवाब देगी।
सीपीएम विधायक ने नहीं दिया विपक्ष का साथ
विपक्ष के सदन से वाकआउट के दौरान सीपीएम और निर्दलीय विधायक सदन में ही बैठे रहे। विपक्ष की ओर से जब सदन में नारेबाजी हो रही थी, उस समय भी इन विधायकों ने विपक्ष का साथ नहीं दिया।
विपक्ष के वाकआउट के बाद सीपीएम विधायक राकेश सिंघा ने विधानसभा अध्यक्ष से बोलने का समय मांगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धैर्य से आगे बढ़ें। गरीब किसान की भूमि पर आक्रमण न हो।
उन्होंने सदन में जेपी कंपनी का हवाला देते हुए कहा कि इस कंपनी ने हिमाचल में धारा 118 का उल्लंघन किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है वह सदन को विश्वास में लें कि धारा 118 में संशोधन नहीं होगा। बाहरी राज्यों से लोग हिमाचल में जमीनें खरीदकर गरीब लोगों को गुमराह करते हैं।
धारा 118 पर बरगला रही कांग्रेस : सत्ती
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि कांग्रेस अपनी अंतर्कलह से जनता का ध्यान बंटाने के लिए धारा 118 के मुद्दे पर जनता को बरगला रही है। वास्तविकता यह है कि धारा 118 का सर्वाधिक दुरुपयोग कांग्रेस ने ही किया है।
सत्ती ने कहा कि धारा 118 में अब तक चार बार संशोधन किए जा चुके हैं। प्रदेश की बहुमूल्य जमीन को अगर बाहरी लोगों को किसी ने बेचा है तो इसकी दोषी भी कांग्रेस ही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व बीजेपी सरकार के दौरान भी कांग्रेस ने इस तरह के झूठे आरोप बीजेपी पर लगाए थे कि उन्होंने प्रदेश की बहुमूल्य जमीन बाहरी लोगों को बेच दी है। परंतु जब कांग्रेस की सरकार आई तो विधानसभा में जब यह प्रश्न पूछा गया कि कितनी भूमि धारा 118 के तहत निजी विश्वविद्यालयों
को बाहरी लोगों को दी है तो कांग्रेस सरकार का ही उत्तर था कि इस तरह से कोई जमीन नहीं बेची गई है। कांग्रेस ने इस तरह से झूठ कहकर हिमाचल प्रदेश की भोली भाली जनता को बरगलाया था।
दूसरे दिन भी हंगामे के आसार, दोनों दलों की होगी बैठक
बजट सत्र के दूसरे दिन बुधवार को भी सदन मेें हंगामा होने के आसार हैं। बुधवार को प्रश्नकाल के बाद अनुपूरक बजट मांगों को पारित किया जाना है। हालांकि सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस और भाजपा विधायक दलों की बैठक होगी।
इसी में विपक्ष का अगला स्टैंड तय होगा, जबकि सत्ता पक्ष अपनी रणनीति तैयार करेगा। कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने बैठक के बुलाए जाने की पुष्टि की है। माना जा रहा है कि कांग्रेस धारा 118 के तहत स्थगन प्रस्ताव पर भी दोबारा चर्चा मांग सकती है।
जंजैहली विवाद को भी कांग्रेस सदन में उठा सकती है। ऐसे में प्रश्नकाल और सदन की अन्य कार्यवाहियां दूसरे दिन भी हो पाएंगी कि नहीं। इस पर संशय बना हुआ है।
जयराम ठाकुर ने फिर बुलाई मंत्रिमंडल की बैठक
दो दिन पहले हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को फिर बैठक बुला ली है। मंगलवार को विधानसभा सत्र के पहले दिन सरकार और विपक्ष के बीच हुई तकरार के बाद इस बैठक को अहम माना जा रहा है।
सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में पहले दिन विपक्ष के सदन में दिखाए तेवरों का असर दिखेगा। वीरभद्र सरकार के कार्यकाल के दौरान धारा 118 से संबंधित प्रदेश के बाहरी संस्थानों को दी अनुमतियों पर जांच बैठाने पर भी सरकार निर्णय ले सकती है।
एक निजी विश्वविद्यालय को भी राजस्व विभाग ने इसी धारा के तहत राहत दी है। इसके अलावा पूर्व सरकार के चाय बागानों का लैंड यूज बदलने के मामलों को भी मंत्रिमंडल की बैठक लाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने जयराम ने मंगलवार को सदन में ही इसके संकेत दिये हैं कि पूर्व सरकार के कई फैसलों पर उनकी नजर है। सूत्रों के अनुसार पुराने प्रकरणों को लेकर अफसरों से रिकार्ड मांगा गया है। इसके अलावा उद्योग विभाग के फैसलों को लेकर भी सरकार कोई बड़ा फैसला ले सकती है।