पहले दो सफलतापूर्वक सत्र होने के बाद प्रो कुश्ती लीग (पीडब्ल्यूएल) का तीसरा सत्र मंगलवार से यहां सिरी फोर्ट परिसर में शुरू हो रहा है, लेकिन इसका चौथा सत्र दिल्ली से बाहर आयोजित किया जा सकता है। पहला सत्र 2015 में पांच राज्यों, जबकि दूसरा सत्र 2017 में दिल्ली में आयोजित हुआ था। हालांकि, अभी चौथे सत्र को लेकर कोई ऐसी पुष्टि नहीं हुई है कि यह कहां और कब होगा, लेकिन फ्रेंचाइजी इसका अगला सत्र दिल्ली के बाहर करने के मूड में है।
एक फ्रेंचाइजी के सह-मालिक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस लीग का पिछला सत्र दिल्ली में हुआ था और यह सत्र भी यहां हो रहा है। हमें दिल्ली में हो रहे लीग के मैचों से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन अन्य राज्यों में भी मैच होने चाहिए। जिस फ्रेंचाइजी ने किसी अन्य राज्य का नाम लगा रखा है तो वह यह भी चाहेगी कि उनके भी घरेलू मैच हों। इस सत्र के खत्म होने के बाद हम अगले सत्र को दिल्ली से बाहर कराने पर विचार करेंगे, ताकि अन्य राज्यों के प्रशंसक भी इसका आनंद ले सके। जब सह-मालिक से पूछा गया कि क्या इससे फ्रेंचाइजियों का पैसा बचता है तो उन्होंने कहा कि इसके पीछे कई कारण हैं। हां, यह ठीक है कि अगर एक जगह मैच होंगे तो पैसा बचेगा, लेकिन हमारे लिए पहलवानों का ख्याल रखना पहली प्राथमिकता है। मुझे याद है कि पहले नियम यह था कि जो घरेलू टीम होगी वह मेहमान टीम के होटल और यात्रा का खर्चा वाहन करेगी तो इससे भी फ्रेंचाइजी पर अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ता है। अलग-अलग राज्यों में मैच होने से पहलवानों का यात्रा करने में परेशानी होती है और उनका प्रतिदिन का कार्यक्रम खराब हो जाता है। पहलवानों को सुबह पांच से दस और शाम को चार से आठ बजे तक अभ्यास करना होता है। फिर दोपहर में आराम और खानपान पर ध्यान लगाता है तो ऐसे में उसका सारा समय यात्र में निकल जाएगा। इस कारण लीग के मैच में यहां हो रहे हैं।
लीग नहीं, बन गया टूर्नामेंट : हालांकि, यह लीग एक तरह का टूर्नामेंट बन चुकी है। जिस तरह किसी टूर्नामेंट के मैच एक राज्य तक ही सीमित रह जाते हैं तो उसी तरह यह लीग भी एक राज्य तक ही सिमट गई है। इस लीग के पहले सत्र के मैच दिल्ली, लुधियाना, गुरुग्राम, नोएडा और बेंगलुरु में खेले गए थे।