ग्रामीण विद्या उपासक वर्ग से नियमित हुए शिक्षकों को प्रदेश सरकार ने डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) करने से छूट दे दी है। उप सचिव प्रारंभिक शिक्षा ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में कहा है कि सरकार ने ग्रामीण विद्या उपासकों की डीएलएड से छूट देने की मांग पर गहनता से विचार किया है।
इस दौरान सामने आया कि ग्रामीण विद्या उपासकों ने जेबीटी स्पेशल सर्टिफिकेट प्राप्त किया है। यह सर्टिफिकेट जेबीटी डिप्लोमा के बराबर है। ऐसे में सरकार ने इन्हें डीएलएड करने से छूट दे दी है। राज्य के सरकारी स्कूलों में तैनात ग्रामीण विद्या उपासकों को अप्रशिक्षित बताकर शिक्षा विभाग ने डीएलएड और ब्रिज कोर्स करने की शर्त लगाई थी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल के तहत इन शिक्षकों को कोर्स करना अनिवार्य किया गया था। सरकारी स्कूलों में नियुक्त 1400 ग्रामीण विद्या उपासकों ने इसका विरोध किया था। शिक्षकों का कहना था कि साल 2011 में इन्हें विभाग ने नियमित किया था। नियमित करने से पहले जेबीटी का प्रशिक्षण दिलाया था।
अब छह साल बाद डीएलएड करने की शर्त थोपना गलत है। ग्रामीण विद्या उपासक शिक्षक संघ ने इस मामले को ट्रिब्यूनल में चुनौती भी दी है। ट्रिब्यूनल ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय से इस बाबत जवाब तलब किया हुआ है। इसी बीच सरकार ने ग्रामीण विद्या उपासकों को राहत देते हुए डीएलएड करने से छूट दे दी है।
सीएंडवी शिक्षकों से भेदभाव बर्दाश्त नहीं
सीएंडवी अध्यापक संघ ने भी सरकार से डीएलएड में छूट देने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष चमनलाल शर्मा ने कहा है कि साल 2002 में नियुक्त ग्रामीण विद्या उपासकों को डीएलएड में छूट मिल सकती है तो सीएंडवी शिक्षकों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि साल 2004 में पैरा शिक्षक शास्त्री लगे और 2014 में नियमित हुए। उसी प्रकार पीटीए 2006 में लगे 2014 में नियमित हुए। इन्हें डीएलएड में छूट क्यों नहीं दी जा रही। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विद्या उपासक, पैरा, पीटीए की भर्ती प्रक्रिया एक समान है।
भाषा अध्यापक जो 2011 में लगे उन्होंने प्रभाकर, एलटी की ट्रेनिंग की है। इन्हें छूट क्यों नहीं दी जा रही। अध्यक्ष चमनलाल शर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग का सौतेला व्यवहार संघ कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। अन्य वर्गों को राहत नहीं दी गई तो शिक्षा निदेशालय का घेराव किया जाएगा।