हिमाचल विधानसभा में आज से शुरू हो रहा बजट सत्र जयराम सरकार के दो माह में किए कामकाज का इम्तिहान होगा। नौ मार्च को बजट पेश करने से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हावी होने का दाव पेच चलेंगे।
शीतकालीन विधानसभा धर्मशाला में हुए पहले सत्र में दोनों ओर की तनातनी ने साबित कर दिया था कि अब भविष्य में फ्रेंडली मैच नहीं खेला जाएगा। विपक्ष के नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं देकर जयराम सरकार ने इसे साफ कर दिया है।
इस बार सत्ता पक्ष को पूरा होमवर्क कर उतरना होगा। वहीं, विपक्ष तबादलों और पुनर्नियुक्तियां, रोजगार सृजन, आबकारी नीति की जांच, उद्योग के क्षेत्र में पुरानी सरकार के पलटे फैसलों पर सत्ता पक्ष को घेर सकती है।
कांग्रेस ने धारा 118 के मामले को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जोड़कर उठाने के संकेत भी दिए हैं। विपक्ष के 60 दिन के कामकाज पर हल्ला बोलने के जवाब में सरकार अपना सौ दिन का एजेंडा रखेगी।
सत्र के लिए सरकार ने की ये तैयारी
धर्मशाला में सत्र के दौरान राज्यपाल अभिभाषण पर सत्ता पक्ष को रक्षात्मक होना पड़ा था। जयराम सरकार वैसी स्थिति बजट सत्र के दौरान नहीं बनने देगी। मंत्रियों के दो माह के कार्यकाल पर उन्हें अपने विभागों का पूरा होमवर्क करने को पहले ही कह दिया है।
विधायकों को इस बात की ट्रेनिंग दी गई है कि विपक्ष की गोलबंदी को कैसे ध्वस्त किया जाए। तमाम तैयारियों के साथ सत्ता पक्ष उतरेगी। विपक्ष के सामने ज्यादा विकल्प नहीं दिख रहे हैं। दो माह में सरकार ने जो फैसले लिए हैं, उसमें कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ।
बंपर तबादलों पर विपक्ष जरूर सवाल खड़ा कर सकती है। बीमार उद्योग को राहत देने की नीति निरस्त करने, आबकारी नीति की जांच तय नहीं होना, गोल्ड रिफाइनरी को राहत बंद करने जैसे मामले पर विपक्ष सवाल खड़ा कर सकती है।
भाजपा सरकार 9 मार्च को पहला बजट रखेगी, जिससे पहले कांग्रेस सदन में दबाव बनाने के लिए हर मौका भुनाने की कोशिश करेगी। दूसरी तरफ, सरकार कर्मचारियों को राहत देने, नई भर्तियों सहित पारदर्शी कार्यप्रणाली से अपना पक्ष मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। वहीं, सदन में विपक्ष को घेरने के लिए पूर्व सरकार के पुराने मामलों को भी सदन में पलटवार को तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
एचपीसीए विवाद पर बरप सकता है हंगामा
एचपीसीए सहित राजनीतिक प्रतिशोध के लिए दर्ज आपराधिक मामलों को जयराम सरकार वापस लेने की कोशिश कर रही है, जिसका कांग्रेस ने सदन के बाहर विरोध शुरू कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ अभियोजन मंजूरी सहित क्रिकेट एसोसिएशन से संबंधित मामलों पर जयराम सरकार की मंशा पर विपक्ष सवाल खड़े करेगा। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस बाबत इशारा भी कर चुके हैं कि सभी मामले कोर्ट में विचाराधीन है, अगर सरकार मामले वापस लेगी तो वे कोर्ट जाएंगे।
माननीयों के आवासों पर हंगामे के आसार
मंत्रियों और भाजपा विधायकों के पुराने आवास खाली नहीं करने का मुद्दा भी गर्माएगा। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री इस मुद्दे को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष सत्र शुरू होने से पहले ही उठाकर यह संकेत दे चुके हैं।
कांग्रेस के विधायकों को अभी तक आवास नहीं मिले हैं। इसके अलावा प्रेम कुमार धूमल के नेता प्रतिपक्ष के तौर पर आवंटित आवास में बने रहने को भी कांग्रेस उठा सकती है। इसकी बड़ी वजह विपक्ष के नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं देने से कांग्रेस से जोड़कर देखा जा रहा है।