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इन 3 कारणों से नहीं आती 93 प्रतिशत भारतीयों को अच्छी नींद: शोध

ऑय 1 न्यूज़ 29 नवंबर 2018 देस्क्स्तोप रिपोर्टर (रिंकी कचारी) अच्छी और सुकून भरी नींद हो, तो 6 घंटे में ही शरीर में काम करने की पर्याप्त ऊर्जा आ जाती है जबकि नींद अच्छी न हो, तो जितनी देर भी सोएं कम है। हाल में हुए एक शोध में पता चला है कि लगभग 93 प्रतिशत भारतीय अच्छी नींद से वंचित हैं, यानी वो रोज 8 घंटे से कम नींद लेते हैं। वहीं 58 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कम नींद के कारण उनका काम प्रभावित होता है। यह शोध फिलिप्स हेल्थकेयर के सर्वे में सामने आया है। इसका मुख्य कारण जीवनशैली से जुड़ी आदतें और कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हैं। अनिद्रा स्वयं में एक समस्या है और कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी है। अनिद्रा का अर्थ है किसी व्यक्ति को अच्छी तरह नींद न आना।                                          नींद न आने का 3 प्रमुख कारण
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल के अनुसार ज्यादातर लोगों में नींद न आने का प्रमुख कारण 3 हैं- मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट। डॉ. अग्रवाल के अनुसार, अगर आप मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट लिए हुए बिस्तर पर लेटे हैं तो आप अनिद्रा का शिकार हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है।
अनिद्रा के अन्य कारण
डॉ. अग्रवाल ने कहा, “इसके अलावा अनिद्रा के अन्य कारणों में कब्ज, अपच, चाय, कॉफी और शराब का अधिक सेवन तथा पर्यावरण में परिवर्तन, यानी अधिक सर्दी, गर्मी या मौसम में बदलाव। ज्यादातर मामलों में ये सिर्फ प्रभाव होते हैं न कि अनिद्रा के कारण। अनिद्रा तीन प्रकार तीव्र, क्षणिक और निरंतर चलने वाली होती है।”
अनिद्रा से तात्पर्य है सोने में कठिनाई। इसका एक रूप है, स्लीप-मेंटीनेंस इन्सोम्निया, यानी सोये रहने में कठिनाई, या बहुत जल्दी जाग जाना और दोबारा सोने में मुश्किल। पर्याप्त नींद न मिलने पर चिंता बढ़ जाती है, जिससे नींद में हस्तक्षेप होता है और यह दुष्चक्र चलता रहता है। उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है।
डॉ. अग्रवाल ने अनिद्रा से निपटने हेतु सुझाव देते हुए कहा, “अगर आप कैफीन के प्रति संवेदनशील हैं तो एक या दो बजे के बाद कैफीनयुक्त पेय पदार्थ लेने से बचें। अल्कोहल की मात्रा सीमित करें और सोने से दो घंटे पहले अल्कोहल न लें। टहलने, जॉगिंग करने या तैराकी करने जैसे नियमित एरोबिक व्यायाम में हिस्सा लें। इसके बाद आपको गहरी नींद आ सकती है और रात के दौरान नींद टूटती भी नहीं है। जितनी देर आप सो नहीं पाते हैं उन मिनटों का हिसाब रखने से दोबारा सोने में परेशानी हो सकती है। नींद उचट जाए तो घड़ी को अपनी निगाह से दूर कर दें।”
आपको बतादे की उन्होंने कहा है, “एक या दो सप्ताह के लिए अपने नींद के पैटर्न को ट्रैक करें। अगर आपको लगता है कि आप सोने के समय में बिस्तर पर 80 प्रतिशत से कम समय बिना सोये बिता रहे हैं, तो इसका अर्थ है कि आप बिस्तर पर बहुत अधिक समय बिता रहे हैं। बाद में बिस्तर पर जाने की कोशिश करें और दिन के दौरान झपकी न लें। यदि आप शाम को जल्दी सोने लगें, तो रोशनी को तीव्र कर दें।”
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अगर आपका दिमाग सोच-विचार में लगा है या आपकी मांसपेशियां तनाव में हैं, तो आपको सोने में मुश्किल हो सकती है। दिमाग को शांत करने और मांसपेशियों को आराम देने के लिए, ध्यान करना, गहरी सांस लेना या मांसपेशियां को आराम देने से लाभ हो सकता है।

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