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Saturday, July 27, 2024
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हिमाचल प्रदेश के निजी स्कूलों में पंद्रह फीसदी तक फीस बढ़ाने के मामले में राज्य सरकार एक्शन मोड में

हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर निजी स्कूलों में पंद्रह फीसदी तक फीस बढ़ाने के मामले में राज्य सरकार एक्शन मोड में आ गई है। ‘अमर उजाला’ में 15 मार्च के अंक में खबर प्रकाशित होने के बाद निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

उच्च शिक्षा निदेशालय में एक विशेष कमेटी की बैठक आयोजित कर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग संशोधन विधेयक-2018 के ड्राफ्ट पर मंथन किया गया।

कमेटी ने सरकार के ड्राफ्ट में आंशिक संशोधन करते हुए इसे विधानसभा में पेश करने को मंजूरी दे दी है। छुट्टियों के बाद होने वाले बजट सत्र में संशोधन विधेयक का ड्राफ्ट विधानसभा में पेश किया जा सकता है।

इन राज्यों का मॉडल होगा स्टडी

उच्च शिक्षा निदेशालय में निदेशक अमर देव की अध्यक्षता में हुई बैठक में अतिरिक्त निदेशक एमएल आजाद, संयुक्त निदेशक अमरजीत शर्मा, सोनिया ठाकुर, सुशील पुंडीर, भजन सिंह, प्रिंसिपल एससीईआरटी नम्रता टिक्कू और छोटा शिमला स्कूल के प्रिंसिपल रतन वर्मा मौजूद रहे।

इस विशेष कमेटी ने निजी स्कूलों के शिक्षकों और गैर शिक्षकों के हितों का भी ड्राफ्ट में ध्यान रखने की वकालत की। कहा गया कि विद्यार्थियों की फीस तय करने के साथ-साथ शिक्षकों-गैर शिक्षकों के वेतन, शैक्षणिक योग्यता पर भी ध्यान दिया जाए।

कमेटी ने निजी स्कूलों को आयोग के दायरे में लाने वाले राज्यों राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब का मॉडल स्टडी करने की बात भी कही।

सरकार ने यह ड्राफ्ट किया है तैयार

हिमाचल सरकार ने निजी स्कूलों, कोचिंग, ट्यूशन सेंटरों, क्रेच और प्ले स्कूलों को निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के दायरे में लाने का ड्राफ्ट तैयार किया है।

नियामक आयोग के दायरे में आने के बाद सभी निजी स्कूल, कोचिंग एवं ट्यूशन सेंटर, क्रेच, प्ले एवं नर्सरी स्कूलों पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी। प्रस्तावित विधेयक में सरकार ऐसे सभी शिक्षण संस्थानों की फीस के अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि के लिए अलग से नियम बनाएगी।

भाजपा के दृष्टि पत्र में भी है उल्लेख
भाजपा ने अपने चुनावी दृष्टि पत्र में घोषणा की थी कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में पारदर्शिता लाने के लिए रेगुलेटरी कमीशन का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया जाएगा ताकि निजी स्कूलों की शुल्क संरचना की समीक्षा की जाए और अनुचित शुल्क वृद्धि पर रोक लगाई जा सके।

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