आई1न्यूज़: संदीप कश्यप
राजगढ़ :5 फरवरी 2018
रविवार को स्थानीय निरंकारी भवन में विशाल सत्संग का आयोजन किया गया सत्संग की अध्यक्षता राजगढ़ संगत के शिक्षक रंजित सिंह ने की | उन्होंने निरंकारी सद्गुरु माता सविन्द्र हरदेव सिंह जी महराज के प्रवचनों को सुनाते हुए कहा की संत निरंकारी मिशन एक आध्यत्मिक विचारधारा है यह कोई प्रचलित धर्म या सम्प्रदाय नहीं है यही कारन है की मिशन में हर धर्म –सम्प्रदाय ,देश –भाषा ,वेशभूषा वाला व्यक्ति स्वयम को सहज व् आनंदमय स्थिति में पाता है
रंजित सिंह ने जीवन –मुक्ति की अमर अवस्था पर फरमाते हुए बताया की जब इन्सान अपने मन का अभिमान छोड़ कर गुरु की शरण में आ जाता है ,तो उसको एक पल में जीवन –मुक्ति प्राप्त हो जाती है | जीवन –मुक्ति का भाव है इस संसार में रहते हुए पार ब्रह्म परमत्मा में अभेद हो जाना ,इसको अपना बना लेना | दुनिया तो समझती है की इस शरीर के होते हुए मुक्ति हो ही नहीं सकती ,जीते जी आत्मा परमत्मा की हो ही नहीं सकती |
मुक्ति पाने के लिए काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह और अहंकार से भरे शारीर को त्यागना पड़ता है | जरुररत शारीर त्यागने की नहीं ,उपरोक्त इन विषयों को त्यागने की है | त्यागने का मतलब इन्हें खत्म करना नहीं ,बल्कि इन पर काबू पाना ,इन्हें अपने वश में करना ,इनको अपनी मर्जी से चला
ना है | हम जानते है की किसी भक्त ने शारीर को छोड़ने के बाद यह नहीं कहा ,बल्कि वे इस संसार में रहते हुए ही कह गये है की हम मुक्त हो गये है | जीवन मुक्ति की ऐसी अमर अवस्था सद्गुरु की कृपा से ही मिलती है |
इससे पहले रतन धीमान ,उर्मिल ,पवन चौहन ,रीता तोमर ,हीरा सिंह ,आशु तोमर ,सीमा साहनी ,सुशील भृगु ,सुदीप लम्बा ,भगवान दास ,देशराज ,अमन धवन ,तनु साहनी ,रमन सहित दर्जनों श्र्दालुयो ने गीतों व् विचारो से अपने विचार प्रकट किये |