ऑय 1 न्यूज़ 21 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) धर्मार्थ कार्य मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने विधान परिषद में हनुमान को जाट बता दिया. उन्होंने कहा कि, ‘ जो दूसरों को दिक्कत में देखकर कूद पड़ते हैं, वह जाट ही हो सकता है. इसलिए हनुमान जाट थे.’ उनकी इस बात को सुनकर सदन में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा मचा दिया.
हनुमान की जाति क्या थी? इसे लेकर बीजेपी नेता तरह-तरह की बयानबाजी पर उतर आए हैं. ताजा मामला उत्तर प्रदेश से सामने आया है. यहां धर्मार्थ कार्य मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने विधान परिषद में हनुमान को जाट बता दिया. उन्होंने कहा कि, ‘ जो दूसरों को दिक्कत में देखकर कूद पड़ते हैं, वह जाट ही हो सकता है. इसलिए हनुमान जाट थे.’ उनकी इस बात को सुनकर सदन में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा मचा दिया.
दरअसल, विधान परिषद में संतोष यादव सनी ने हनुमान मंदिरों में चढ़ावे के हिसाब-किताब पर सवाल किया था. इसके जवाब में उन्होंने बताया कि हनुमान मंदिरों में चढ़ावे की धनराशि की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. इस जवाब पर विपक्ष के नेताओं ने हनुमान जी की जात का मुद्दा उठा दिया.
यह देख धर्मार्थ कार्य मंत्री ने कहा कि जो दूसरों की मदद करने के लिए कूद पड़े, वह जाट ही हो सकता है. मंत्री की यह बात सुनकर सदन में हंगामा मच गया. समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने कहा कि यह बीजेपी ही तय करे कि हनुमान की जाति आखिर क्या थी. मुख्यमंत्री उन्हें दलित बता देते हैं तो कोई उन्हें मुसलमान तो कोई आदिवासी कहता है.
मालूम हो कि इसके पहले बीजेपी विधायक बुक्कल नवाब ने भी हनुमान की जाति को लेकर विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा कि हनुमान मुस्लिम थे. इसलिए मुसलमानों के नाम रहमान, रमजान, फरहान, सुलेमान, सलमान, जिशान, कुर्बान पर रखे जाते हैं.
बीजेपी विधायक बुक्कल नवाब ने हनुमान को दलित बताए जाने के विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि हनुमान की जाति पर बात होती है. तो यह भी देखना चाहिए कि वो किस धर्म से थे. मेरा मानना है कि हनुमान जी मुस्लिम थे. इसलिए मुसलमानों के अंदर जो नाम रखा जाता है, वो हनुमान से मिलता जुलता है.
यही नहीं, उन्होंने आगे कहा कि, ‘लखनऊ में कई मुसलमानों ने हनुमान के मंदिर भी बनवाए हैं. हमारे खानदान ने भी हनुमान जी के मंदिर बनवाए हैं. मैंने खुद हनुमान जी की पूजा-अर्चना की है. इसलिए मेरा मानना है कि हनुमान मुस्लिम थे.’
सबसे पहले योगी आदित्यनाथ के बयान से छिड़ा जाति का विवाद…
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 नवंबर को राजस्थान के अलवर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए हनुमान को दलित बताया था. उन्होंने कहा था कि हनुमान वनवासी, वंचित और दलित थे. उनके इस बयान के बाद देश भर में सियासी गलियारों में जमकर विरोध हुआ.
योगी के बयान के बाद लगी हनुमान की जाति बताने की होड़…
सीएम योगी के हनुमान को दलित बताने वाले बयान के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने 30 नवंबर को भगवान हनुमान को आदिवासी बताया था. वहीं, बाबा रामदेव ने खुद को रामभक्त बताते हुए कहा था कि हनुमान अष्ट सिद्धि के ज्ञानी होने के साथ-साथ क्षत्रिय भी हैं.
यही नहीं, केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सोंघ ने हनुमान को दलित नहीं आर्य बताया तो शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उन्हें ब्राह्मण बताया. बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने तो यह तक कह दिया कि हनुमान तो बंदर थे और बंदर पशु होता है, जिसका दर्जा दलित से भी नीचे होता है. वो तो राम ने उन्हें भगवान बना दिया.
इसके अलावा आचार्य निर्भय सागर ने हनुमान को जैन बताया. उन्होंने इसे साबित करने के लिए तर्क देते हुए कहा कि जैन धर्म के अहिंसा धर्म को शुरू से हनुमान ने स्वीकार किया इसलिए उन्होंने हिंसक युद्ध नहीं किया और इसलिए इससे ये साबित होता है कि हनुमान जैन थे.