ऑय 1 न्यूज़ 12 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) 25 जनवरी, 1947
लड़कियों के साथ गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर सरदार पटेल के क्रोध की कोई सीमा नहीं थी. गांधी जब मरियम-हीरापुर में थे तब पटेल ने लिखा था, ‘‘किशोर लाल मशरूवाला, मथुरादास और राजकुमारी अमृत कौर के नाम आपके पत्र पढ़े. आपने हमें पीड़ा के अग्निकुंड में धकेल दिया है. मैं समझ नहीं सकता कि आपने यह प्रयोग दोबारा शुरू करने का विचार क्यों किया? पिछली बार आपसे बात करने के बाद हमें लगा था कि यह अध्याय खत्म हो चुका है. आपको हमारी भावनाओं की परवाह नहीं है. हम नितांत असहाय महसूस कर रहे हैं. देवदास की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है. हम सब की पीड़ा की कोई सीमा नहीं है. अगली चर्चा तक आप यह सब रोक दें…’’
16 फरवरी, 1947
पटेल के पत्र से पहले गांधी ने नवजीवन प्रकाशन के जीवन देसाई को पत्र लिखकर कहा था कि वे उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का विवरण हरिजन सहित नवजीवन के प्रकाशनों में छापें. पटेल ने लिखा: ‘‘…इनके प्रचार से दुनिया को कोई लाभ नहीं होगा. आप कहते हैं कि दूसरों को आपके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का अनुकरण नहीं करना चाहिए. आपके इस कथन का कोई अर्थ नहीं. लोग बड़ों के दिखाए रास्ते पर चलते हैं. न जाने क्यों आप लोगों को धर्म की बजाए अधर्म के रास्ते पर धकेलने पर तुले हैं…लाचारी की इस हालत में नवजीवन के ट्रस्टी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चाहे जो हो जाए, वे इस प्रयोग के बारे में कुछ नहीं छाप सकते.’’