राज्य में रैगुलर किए जाने के मसले पर वेतन कटौती का विरोध कर रहे रमसा, एस.एस.ए. अध्यापकों का मसला विधानसभा में नेता विपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने उठाया। खैहरा ने इसे काफी गंभीर मामला करार देते हुए कहा कि सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए।
अपना ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखते हुए खैहरा ने कहा कि उन्हें पता चला है कि एस.एस.ए., रमसा अध्यापक, हैडमास्टर व लैब अटैंडैंट्स ठेके पर काम कर रहे हैं और उन्हें 30 से 40 हजार रुपए प्रति माह वेतन मिल रहा है। ऐसे करीबन 20 हजार मुलाजिम हैं। खैहरा ने कहा कि पता चला है कि अब इन्हें सरकार शिक्षा विभाग के अधीन रैगुलर करने जा रही है लेकिन इसके साथ ही इनको बेसिक पे-स्केल पर लाया जा रहा है, जिससे इनको मौजूदा समय में मिल रहे वेतन से 25 से 30 हजार रुपए कम वेतन दिया जाएगा। इस बात की वजह से इन अध्यापकों व मुलाजिमों में बहुत रोष फैला है और यह सही नहीं है। खैहरा ने कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और उनकी सेवाएं रैगुलर करते हुए वेतन कम न किया जाए। खैहरा द्वारा लाए गए इस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान ही शिरोमणि अकाली दल के विधायकों द्वारा एक अन्य मुद्दे को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी गई और खैहरा द्वारा प्रस्ताव पढऩे के दौरान ही शिअद-भाजपा के विधायक स्पीकर वैल में पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।
उधर, इसी शोर-शराबे के दौरान शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी द्वारा खैहरा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोलते हुए सदन को जानकारी दी गई कि सरकार द्वारा उक्त मुलाजिमों की सेवाओं को रैगुलर करने संबंधी मामला फिलहाल सरकार के विचाराधीन है और इसके लिए विभिन्न स्तर पर कार्रवाई चल रही है।
खैहरा द्वारा शोर की वजह से जवाब सुनाई न देने की बात कही गई और दोबारा जवाब का स्पीकर से आग्रह किया। शिक्षा मंत्री द्वारा फिर से जवाब पढऩे के बावजूद खैहरा ने कहा कि उन्हें पूरी तरह सुनाई नहीं दे पाया है इसलिए जवाब फिर से पढ़ दिया जाए, लेकिन स्पीकर ने इसे मना कर दिया और शिक्षा मंत्री द्वारा दिया गया जवाब लिखित में खैहरा तक भिजवा दिया। जब तक खैहरा ने सप्लीमैंट्री सवाल करने का आग्रह किया, तब तक स्पीकर कार्रवाई को आगे बढ़ा चुके थे।