Sunday, December 22, 2024
to day news in chandigarh
Homeदेशपहले लूटा अंग्रेजों का खजाना, फिर हंसते हुए फांसी पर चढ़े ये...

पहले लूटा अंग्रेजों का खजाना, फिर हंसते हुए फांसी पर चढ़े ये 3 वीर

ऑय 1 न्यूज़ 19 दिसम्बर 2018 (रिंकी कचारी) पहले लूटा अंग्रेजों का खजाना, फिर हंसते हुए फांसी पर चढ़े ये 3 वीर क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाक उल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को साल 1927 में आज ही के दिन फांसी दी गई थी…अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह

भारत को आजादी दिलाने के लिए हंसते हंसते अपनी जान देने वाले आजादी के सिपाही राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाक उल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को साल 1927 में आज ही के दिन फांसी दी गई थी. तीनों क्रांतिकारियों को अलग-अलग जेल में फांसी पर लटकाया गया था. इस दिन को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है…

बता दें कि आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए फांसी पर चढ़ाया गया था. आजादी की जंग के इतिहास में काकोरी कांड को हमेशा याद रखा जाएगा. दरअसल अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए क्रांतिकारियों को हथियारों की आवश्यकता थी और उन्होंने ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई. अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना राम प्रसाद बिस्मिल ने बनाई थी.

हंसते हुए शहीद हो गए थे बिस्मिल, फांसी से पहले गायी थी ये कविता

उसके बाद इस ऐतिहासिक घटना को 9 अगस्त 1925 के दिन अंजाम दिया गया. इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउजर पिस्टल भी इस्तेमाल किए गए और हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के केवल 10 सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया. इस दौरान हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी 8 डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन को चेन खींचकर रोक लिया.

उसी वक्त क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद ने अपने 6 अन्य साथियों के साथ समूची ट्रेन पर धावा बोल दिया. इसी दौरान क्रांतिकारी मन्मथनाथ गुप्त ने उत्सुकतावश माउजर का ट्रिगर दबा दिया. जिससे गोली चली और अहमद अली नाम के मुसाफिर को लग गई. मौके पर ही उसकी मौत हो गई. तभी सारे क्रांतिकारी चांदी के सिक्कों और नोटों से भरे चमड़े के थैले चादरों में बांधकर वहां से भाग गए.

ये ‘खान’ लिखता था देशभक्ति की कविताएं, काकोरी कांड को दिया था अंजाम

सरकारी खजाना लुटने से अंग्रेजी हुकूमत सकते में आ गई थी. 26 सितम्बर 1925 के दिन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ राजद्रोह करने, सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया गया. बाद में राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. इसमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर को फांसी दे दी गई.

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments