आई 1 न्यूज़ : संदीप कश्यप
राजगढ़ |
निरंकारी श्रदालुयो द्वारा निरंकारी मिशन के चोथे सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज का जन्मदिन “गुरुपूजा “ दिवस के रूप में बड़े ही हर्षौल्लास के साथ मनाया गया | राजगढ़ संगत के सयोजक भोला नाथ साहनी ने बताया की बाबा हरदेव सिंह जी महाराज निरंकारी मिशन के चोथे गुरु थे उनका कहना था की जब भी साल में मेरा जन्मदिन आय तो पुरे भातर वर्ष के साथ साथ विदेशो में जहा पर भी मिशन की शाखाये है हर जगह श्र्दालुयो द्वारा अपने अपने शहरों .अस्पतालों ,बस स्टेंड ,रेलवे स्टेशनों के साथ वृक्षारोपण भी किया जाना चाहिए | इसी लड़ी को आगे निभाते हुए शनिवार को निरंकारी श्रदालुयो द्वारा राजगढ़ शहर में सुबह 7 बजे से लेकर 9 बजे तक नये बस स्टेंड ,गेस एजेंसी ,बडू साहिब चोक ,एसबीआई बेंक ,पुराना बस स्टेंड ,गुरुद्वारा ,निरंकारी भवन , सिविल अस्पताल व् नेहरु मैदान की साफ़ सफाई की गई | इस अवसर पर पच्छाद विधायक सुरेश कश्यप ने भी संगत के साथ सुबह 7 बजे से लेकर 9 बजे तक उपरोक्त सारे स्थानों में साफ सफाई की | इस अवसर पर कश्यप ने कहा की निरंकारी मिशन के श्र्दालुयो द्वारा राजगढ़ शहर की साफ सफाई करना एक बेहतरीन प्रयास है जिसकी में बहुत प्रशंसा करता हु जेसा प्रयास मिशन के लोगो द्वारा किया जा रहा है इससे एक अच्छा सन्देश जनता को जाता है की यदि हम सभी अपने आसपास अपने घरो में साफ –सफाई रखे तो गन्दगी को फेलने से रोका जा सकता है गन्दगी कम हो सकती है कश्यप ने कहा की निरंकारी मिशन का मुख्य उदेश्य यही रहता है की प्रदुषण मन के अन्दर हो या बहार दोनों प्रकार का प्रदूषण हमारी सेहत व् पर्यावरण के लिय बेहद खतरनाक हो सकता है |
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गोरतलब रहे की बाबा हरदेव सिंह जी निरंकारी मिशन के चौथे मुखी थे। इनका जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में पिता गुरबचन सिंह (बाबा जी) व माता कुलवंत कौर (राज माता) की कोख से हुआ। आप चार बहनों के एकलौते भाई थे। आप जी की शादी नवंबर 1975 में सविंदर कौर जी (सतगुरु माता जी) के साथ जो गुरमुख सिंह जी व मदन जी फरूखाबाद (उत्तर प्रदेश) की सपुत्री है के साथ सम्पन्न हुआ व आप के घर तीन सपुत्रीयों समता, रेणूका व सुदिकक्षा जी ने जन्म लिया। आप ने अपनी प्राथमिक शिक्षा राजौरी पब्लिक स्कूल दिल्ली व सैकेंडरी शिक्षा के लिए आप को 1963 में यादविंदरा पब्लिक स्कूल पटियाला (पंजाब) में दाखिल करवाया जहां 1969 में आप ने मैट्रिक पास की। उच्च शिक्षा आप ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। बचपन से ही आप जी ने अपने माता पिता के साथ देश विदेशों में अध्यातमिक यात्राएं करनी शुरू कर दी थी। 1971 में आप संत निरंकारी सेवादल में भर्ती हो गए तथा खाकी वर्दी पहन कर सेवा में रूचि लेने लगे।24 अप्रैल 1980 को मिशन के इतिहास में एक बड़ा मोड़ आया, जब बाबा गुरबचन सिंह जी मानवता के लिए कुर्बान हो गए। ऐसे घोर संकट के समय आपने मिशन की बागडोर संभाली। आपने पहले प्रवचनों में ही उन्होंने संगतों को नफरत त्याग कर, सारे संसार में प्रेम व भाईचारे की भावना को फैलाने के लिए यत्न करने को कहा। नौजवानों को अच्छे कार्यों के प्रति प्रेरित करने के लिए आप जी ने रक्तदान शिविरों की शुरूआत की व मानव को मानव के नजदीक करने के लिए एक नारा दिया खून नालियों में नहीं नाडिय़ों में बहना चाहिए। हर वर्ष 24 अप्रैल 1986 से लगातार दिल्ली से पूरे हिंदोस्तान के साथ साथ संसार के कई देशों में रक्तदान शिविर लगते है तथा यह सिलसिला पूरा वर्ष अलग अलग स्थानों पर चलता रहता है। निरंकारी मिशन के नाम पर रक्त का वल्र्ड रिकार्ड इतिहास में दर्ज है।इस अवसर पर विधयाक सुरेश कश्यप ,तहसीलदार विवेक नेगी ,नगर पंचायत के कनिष्ठ अभियंता घनियाश्म शर्मा ,विद्या ठाकुर, नप के उपाध्यक्ष तरुण साहनी ,गनपत राम ,रंजित सिंह , नरेश ,गोपी चंद ,राजकुमार सूद,नवदीप साहनी ,रतन ,आशु ,रणदीप ठाकुर ,उर्मिल ,मुस्कान ,ज्योति ,निमी ,अनु ,समता ,अंजू ,सुदीप ,शगुन ,अमन ,अमर सहित करीब 200 श्रदालुयो ने भाग लिया |