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नई नीति की तैयारी, 12वीं के बाद अब 4 वर्षीय बीए, बीएससी और बीकॉम-बीएड

 ब्यूरो रिपोर्ट :24 मार्च 2018
प्रदेश में बीएड के लगभग 75 कॉलेज चल रहे है। जो सीधे तौर पर इस नई पॉलिसी के लागू होने से प्रभावित होंगे।
 प्रदेश में चल रहे बीएड कॉलेजों पर संकट मंडरा गया है। एमएचआरडी यानि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा बीएड को लेकर तैयार की गई नई नीति प्रदेश के कॉलेजों पर भारी पड़ सकती है। नई नीति के तहत अब 2 वर्षीय बीएड कोर्स नहीं करवाया जाएगा बल्कि सीधे प्लस टू के चार वर्षीय बीए बीएड, बीएससी बीएड कोर्स करवाया जाना है। जिसे इंप्लीमेंट करने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा तैयार की गई नई बीएड पॉलिसी को शिक्षा सत्र 2019 से लागू करने की भी तैयारी चल रही है।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नई बीएड पॉलिसी को लागू करने के लिए वर्ष 2019 के बीएड के शिक्षा सत्र को जीरो करने की भी संभावना है। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश के किसी भी बीएड कॉलेज में एडमिशन नहीं होगी। जिससे सीधे तौर पर प्रदेश में चल रहे बीएड कॉलेज प्रभावित होंगे।

एनसीटीई कर चुकी 4 वर्षीय कोर्स लॉन्च

एनसीटीई यानि नेशन काउंसिल टीचर एजुकेशन लगभग 3 साल पहले ही 4 वर्षीय बीए बीएड, बीएससी बीएड, बीकॉम बीएड कोर्स लॉन्च कर चुकी है। जिस संबंध में प्रदेश सरकार की ओर से भी एनसीटीई को पत्र भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में कोई नया बीएड कॉलेज नहीं शुरू किया जाएगा। प्रदेश में चल रहे बीएड कॉलेजों की सीटों को भी कम किया जाएगा। जिसके तहत कई बीएड कॉलेजों में सीटें कम भी की जा चुकी है।

प्रदेश में नई बीएड पॉलिसी लागू होती है तो उससे प्रदेश में चल रहे बीएड कॉलेज प्रभावित होंगे। जिन्हें बचाने के लिए हर वह कदम उठाया जाएगा जो जरूरी होगा। जिसके लिए एमएचआरडी यानि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा बीएड को लेकर तैयार की गई नई नीति को भी स्टडी किया जाएगा। आरके शांडिल, प्रेसिडेंट, हिमाचल प्रदेश बीएड काॅलेज एसोसिएशन।

12वीं के बाद छात्र चुन सकेंगे टीचिंग स्पेशलाइजेशन

शिक्षा में गुणवत्ता लाने व स्पेशल टीचर तैयार करने के लिए एमएचआरडी की ओर से इस नीति को तैयार किया गया है। जिसके तहत कोई भी छात्र छात्रा जो भविष्य में टीचिंग प्रोफेशन में आना चाहते है उन्हें 12वीं के बाद ही सीधे तौर पर इस चार वर्षीय कोर्स को पढ़ना होगा। बीए, बीएससी के बाद बीएड करने का सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। चार वर्षीय इस कोर्स में बीए, बीएससी बीएड में पढ़ाए जाने वाले सब्जेक्ट व सिलेबस शामिल होगा। जिसका सबसे बड़ा लाभ उन छात्र छात्राओं को होगा जो टीचिंग लाईन में ही अपना करियर बनाना चाहते है। वह टीचिंग स्पेशलाइजेशन को चुन सकेंगे।

प्रदेश में चल रहे है 75 कॉलेज

प्रदेश में बीएड के लगभग 75 कॉलेज चल रहे है। जो सीधे तौर पर इस नई पॉलिसी के लागू होने से प्रभावित होंगे। इन कॉलेजों में करीब 7 हजार सीटें है। टीचर बनने के लिए प्रदेश में अभी तक 2 वर्षीय बीएड कोर्स करवाया जाता है। जो ग्रेजुएशन के बाद होता है। नई नीति के तहत बीएड कॉलेज संचालकों अपने कॉलेज को प्रभावित होने से बचाने व नए कोर्स को चलाने के लिए एनसीटीई के नए नियमों के तहत इस 4 वर्षीय कोर्स को शुरू करना होगा।

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