आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा शिअद महासचिव बिक्रम मजीठिया से माफी मांगने को लेकर बुधवार को सदन में भी आप विधायकों की फूट भी सामने आई। इस मामले पर आप विधायक विधानसभा में भी घिर गए और कांग्रेस ने उन पर जमकर हमला किया।
कांग्रेस विधायकों ने कहा कि हर मुद्दे पर वे खुलकर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हैं, लेकिन क्या आप विधायक माफी पर केजरीवाल के साथ खड़े हैं? इसका जवाब आप विधायकों के पास नहीं था और पार्टी में साफ गुटबाजी दिखाई दी। सिर्फ आप विधायक दल के उपनेता अमन अरोड़ा ने कहा कि वह केजरीवाल के सच्चे सिपाही हैं, लेकिन किसी ने उनका साथ नहीं दिया।
आप विधायकों में अंदरखाते दिखाई दी गुटबाजी, उपनेता अमन अरोड़ा पड़े अकेले
विधानसभा में भी केजरीवाल की माफी का मुद्दा जोर-शोर से उठा। माफी की सियासत में कांग्रेस ने आप विधायकों को सदन में उलझा लिया और चुनौती दे डाली कि अगर सभी माफी के खिलाफ हैं तो पार्टी से इस्तीफा क्यों नहीं दे देते? जवाब में अकेले पड़े आप विधायक अमन अरोड़ा ने राहुल गांधी द्वारा आरएसएस और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से माफी मांगने का जिक्र करके बचाव की कोशिश की, लेकिन उनकी रणनीति काम नहीं आई।कांग्रेस ने कहा, केजरी की माफी से आप विधायक नाराज हैं तो इस्तीफा दे दें
दरअसल, कांग्रेसी विधायक अमरिंदर सिंह राजा बडिंग़ ने राज्यपाल के अभिभाषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा व आप विधायकों को सीधी चुनौती दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर वह केजरीवाल की माफी से हकीकत में दुखी हैं तो पार्टी से इस्तीफा क्यों नहीं दे देते?
इससे पहले विभिन्न मुद्दों पर एकजुट दिखाई दे रहे आप विधायकों इस्तीफे की चुनौती सुनकर बिखरे दिखाई दिए। अमन अरोड़ा ने जरूर मोर्चा संभाला लेकिन आप विधायकों ने उनका साथ नहीं दिया। आप विधायक कंवर संघू ने जरूर सदन में माफीनामे की राजनीति से ऊपर उठकर सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी।
सुखपाल खैहरा हुए मजबूत
विधानसभा में आप विधायक व नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा बुधवार को काफी मजबूत स्थिति में नजर आए। उन्होंने सभी आप विधायकों को एकजुट करने में काफी हद तक सफलता हासिल की। सोमवार व मंगलवार को खैहरा के समर्थन में सभी विधायक नहीं दिखाई दिए थे। बुधवार को किसान आत्महत्या के मामले में खैहरा ने जब सदन से वाकआउट किया तो उनके साथ सभी विधायकों ने वाकआउट किया। एक दिन पहले जब किसानों के मुद्दे पर खैहरा ने वाकआउट किया था तो आप के दो विधायक अंदर ही बैठे रहे और चार विधायक सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए थे।